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सुगंधा देवी शक्तिपीठ: जानिए बांग्लादेश के इस रहस्यमयी स्थान का अद्भुत रहस्य

Created by Asttrolok in Astrology 28 Oct 2025
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सुगंधा देवी शक्तिपीठ: जानिए बांग्लादेश के इस रहस्यमयी स्थान का अद्भुत रहस्य

सुगंध से महकता एक दिव्य तीर्थ

बांग्लादेश के शिकारपुर (बरिसाल ज़िले) में स्थित सुगंधा देवी शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, इतिहास और रहस्य का संगम भी है।

यह वही स्थान है जहाँ देवी सती की नाक (नासिका) गिरी थी, इसलिए इसे “सुगंधा पीठ” कहा जाता है।

कहा जाता है, यहाँ की मिट्टी से आज भी दिव्य सुगंध निकलती है — जैसे स्वयं माँ सती की उपस्थिति अभी भी इस भूमि में बसी हो।

यह शक्तिपीठ उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष माना जाता है जो जीवन की उलझनों, शनि दोष निवारण, या विवाह में देरी जैसी परेशानियों से मुक्ति चाहते हैं।


🕉️ सुगंधा शक्तिपीठ का इतिहास और महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के अंगों को अलग-अलग स्थानों पर गिराया।

जहाँ-जहाँ माँ सती के अंग गिरे, वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

सुगंधा शक्तिपीठ उन 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ देवी सती की नाक गिरी थी।

यहाँ माँ को सुगंधा देवी और भगवान शिव को त्र्यम्बक के रूप में पूजा जाता है।

कहते हैं, यहाँ देवी की उपासना करने से व्यक्ति की आत्मिक ऊर्जा और सौभाग्य दोनों बढ़ते हैं।

ज्योतिषीय रूप से भी यह स्थान त्रिकोण भाव को सशक्त करने वाला माना जाता है — जो व्यक्ति के भाग्य, धर्म और कर्म से जुड़ा होता है।


🔱 विशेष पूजा, पर्व और रहस्यमयी वातावरण

सुगंधा देवी मंदिर में रोज़ाना माँ की आरती, दीपदान और हवन किए जाते हैं।

हर साल नवरात्रि और चैत्र मास में यहाँ विशेष भक्तिमय माहौल होता है।

कहते हैं, इन दिनों में मंदिर परिसर में एक हल्की सी सुगंध पूरे वातावरण में फैल जाती है — जिसे किसी भी भौतिक कारण से नहीं जोड़ा जा सकता।

यहाँ मंगलवार और शुक्रवार को दर्शन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

देवी को चढ़ाया गया सुगंधित जल और पुष्प मंगल दोष और शनि दोष दोनों को शांत करने में सहायक माने जाते हैं।


🔮 ज्योतिष से संबंध – जब सुगंधा देवी देती हैं जीवन में नई दिशा

सुगंधा शक्तिपीठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ज्योतिषीय ऊर्जा केंद्र भी है।

ज्योतिष में कहा गया है कि जिनकी कुंडली में शनि दोष, विवाह में अड़चनें या भावनात्मक अस्थिरता है, उन्हें यहाँ देवी की उपासना करनी चाहिए।

यदि आप जानना चाहते हैं कि आने वाला चंद्र ग्रहण कब है, या आपका राशिफल आज का हिंदी में क्या कहता है, तो यह समझना ज़रूरी है कि ये सभी ग्रह-स्थितियाँ आपकी ऊर्जा और कर्मों से भी जुड़ी होती हैं।

माँ सुगंधा की आराधना से ये सभी दोष धीरे-धीरे शांत होते हैं।

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🚩 यात्रा गाइड – कैसे पहुँचे सुगंधा शक्तिपीठ

स्थान: शिकारपुर, बरिसाल ज़िला, बांग्लादेश

देवी का रूप: सुगंधा देवी

भैरव: त्र्यम्बक

कैसे जाएँ:

भारत से ढाका तक हवाई यात्रा कर सकते हैं। ढाका से बरिसाल तक बस या ट्रेन सेवा उपलब्ध है। वहाँ से शिकारपुर लगभग 10-12 किमी की दूरी पर है, जिसे टैक्सी या ऑटो द्वारा तय किया जा सकता है।

क्या देखें:
प्राचीन सुगंधा देवी का गर्भगृह
त्र्यम्बक भैरव मंदिर
शक्तिकुंड (जहाँ भक्त स्नान करते हैं)
माँ की सुगंधित मिट्टी वाला क्षेत्र

यात्रा के टिप्स:
मंदिर के दर्शन के लिए सुबह के समय जाना शुभ माना जाता है।
यदि नवरात्रि में जा रहे हैं, तो भीड़ से बचने के लिए पहले से योजना बनाएँ।
फूल और धूप अपनी ओर से ले जाएँ – स्थानीय लोग इसे शुभ मानते हैं।
यदि आप ज्योतिष में रुचि रखते हैं, तो यहाँ ध्यान और साधना का अनुभव अनमोल है।


🪔 आधुनिक जीवन में सुगंधा शक्तिपीठ की प्रासंगिकता

आज की व्यस्त दुनिया में जहाँ लोग तनाव, असंतुलन और रिश्तों में दूरी महसूस करते हैं,

वहाँ सुगंधा देवी की भक्ति मन की शांति और ऊर्जा संतुलन का अद्भुत माध्यम है।

यह स्थान हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ,

यदि हमारी सोच और आत्मा सुगंधित (शुद्ध) रहे, तो हर बाधा पार की जा सकती है।

जो लोग ज्योतिष सीखना चाहते हैं और ग्रहों की गहराई को समझना चाहते हैं, वे

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निष्कर्ष – सुगंध से भरा माँ शक्ति का संदेश

सुगंधा देवी शक्तिपीठ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि देवी सती की दिव्य उपस्थिति का प्रमाण है।
यहाँ की हवा, मिट्टी और वातावरण में जो सुगंध है — वह माँ की जीवंत उपस्थिति का प्रतीक है।
 जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से माँ को नमन करता है, उसके जीवन की नकारात्मक ऊर्जा स्वतः समाप्त हो जाती है और नई खुशबू फैलने लगती है।


यह भी पढ़ें: श्रीशैलम शक्तिपीठ यात्रा – एक स्थान जहाँ भक्ति और शक्ति एक हो जाते हैं


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