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जन्मकुंडली के किसी भी भाव का विचार करते समय सिर्फ ये नहीं देखा जाता है कि स्थान या भाव में कौन सा ग्रह विराजमान है बल्कि यह देखना भी आवश्यक होता है कि जन्म कुंडली के उस भाव में किन किन ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है । ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रहों की दृष्टि भाव के फल को प्रभावित करती है । कुछ ग्रहों की दृष्टि बहुत शुभ मानी जाती है । उनकी दृष्टि पड़ने से, जातक को मिलने वाले शुभ फल में वृद्धि हो जाती है या फिर अशुभ फल में कमी हो जाती है । वहीं कुछ ग्रह ऐसे भी हैं जिनकी दृष्टि शुभ नहीं मानी जाती है । ऐसे ग्रह, जातक को मिलने वाले शुभ फल में कमी कर देते हैं और कई स्थितियों में जातक के लिए बहुत कष्टदायी सिद्ध होते हैं ।
इस लेख में हम जानेंगे कि जन्म कुंडली के भावों में किस ग्रह की दृष्टि को शुभ और किस दृष्टि को अशुभ माना गया है ? इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि ज्योतिष के अनुसार कौन से ग्रह को कितनी दृष्टि प्राप्त है?
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की दृष्टि-
जन्म कुंडली के सभी ग्रह अपनी वर्तमान स्थिति से 180 अंश पर दृष्टि डालते हैं। 180 अंश का अर्थ है सप्तम भाव यानि कोई भी ग्रह अपने वर्तमान भाव से सप्तम भाव में पूर्ण रूप से दृष्टि डालता है । ज्योतिष में कुछ ग्रहों को एक से अधिक दृष्टियाँ प्राप्त हैं ।
- जन्म कुंडली में सूर्य अपने वर्तमान भाव से सप्तम भाव में दृष्टि डालता है ।
- ज्योतिष में चंद्रमा को भी एक ही दृष्टि प्राप्त है । चंद्रमा अपने वर्तमान भाव से सप्तम भाव में देख सकता है ।
- मंगल को एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन दृष्टियाँ प्राप्त हैं । मंगल अपने वर्तमान भाव से चतुर्थ भाव, सप्तम भव्य व अष्टम भाव पर अपनी दृष्टि डाल सकता है ।
- ज्योतिष में बुध को एक ही दृष्टि यानि सप्तम दृष्टि प्राप्त है ।
- पंचम, सप्तम व नवम के रूप में बृहस्पति को तीन दृष्टियाँ प्राप्त हैं ।
- शुक्र के पास पूर्ण रूप से सप्तम दृष्टि है ।
- शनि के पास तृतीय, सप्तम व दशम के रूप में तीन दृष्टियाँ हैं ।
- राहु व केतु दोनों को तीन-तीन दृष्टियाँ प्राप्त हैं - पंचम दृष्टि, सप्तम दृष्टि व नवम दृष्टि ।
इस प्रकार से कुल 5 ग्रहों को तीन दृष्टियाँ प्राप्त हैं ।
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जन्मकुंडली में ग्रहों की दृष्टि का फल-
जन्म कुंडली के अलग अलग भावों में दृष्टि पड़ने से जातक अलग अलग फल प्राप्त होते हैं । आइए कुछ बिंदुओं के माध्यम से ग्रहों की दृष्टि के फल के बारे में समझ लेते हैं -
- अगर कोई ग्रह जन्म कुंडली के किसी दूसरे घर से अपने घर पर दृष्टि डाल रहा है तो इस दृष्टि से जन्म कुंडली में राजयोग बनता है ।
- जन्म कुंडली में जब दो ग्रह एक दूसरे के भाव में बैठ कर एक दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हों तो इस कुंडली में धन योग बन जाता है ।
- बृहस्पति, बुध , शुक्र और चंद्रमा की दृष्टि शुभ मानी जाती है तो वहीं सूर्य, मंगल, शनि, राहु व केतु की दृष्टि को ज्योतिष में शुभ नहीं माना जाता है ।
- मित्र ग्रहों की एक दूसरे के भावों में पड़ने वाली दृष्टि को शुभ माना जाता है। सूर्य, मंगल, चंद्रमा व गुरु आपस में मित्र माने जाते हैं तो वहीं बुध, शुक्र, शनि व राहु को भी आपस में मित्र माना जाता है ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से हमने जन्म कुंडली के भावों में पड़ने वाली विभिन्न ग्रहों की दृष्टि का विस्तार से विश्लेषण किया ।
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