भारत और बांग्लादेश की सीमाओं के बीच स्थित चटगांव (चट्टोग्राम) का चट्टल भवानी शक्तिपीठ न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि रहस्य और अध्यात्म का संगम भी है। कहा जाता है कि यहाँ धरती के भीतर से आज भी अग्नि निकलती है, जो माँ शक्ति की अद्भुत ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ देवी सती का दायां हाथ (भुजा) गिरा था।
यह स्थान शक्ति उपासना, तांत्रिक साधना और भक्ति का अनोखा केंद्र है। जो भी भक्त यहाँ श्रद्धा से आता है, उसकी मनोकामना माँ चट्टल भवानी स्वयं पूरी करती हैं।
चटगांव शक्तिपीठ का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और देवी भागवत पुराण में भी मिलता है। कथा के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंगों को पृथ्वी पर गिराया। इसी क्रम में उनका दायां हाथ (भुजा) इस स्थान पर गिरा, जिससे यह भूमि “भद्रकाली” और “चट्टल भवानी” के नाम से प्रसिद्ध हुई।
यह शक्तिपीठ माता शक्ति और भगवान शिव की संयुक्त ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं, यहाँ साधना करने वाले साधक को त्रिकोण भाव से संबंधित योगों का गहरा लाभ मिलता है — जो व्यक्ति की कर्मशक्ति, भाग्य और धन भाव को सशक्त करते हैं।
माँ चट्टल भवानी के मंदिर में प्रतिदिन शृंगार आरती और महालक्ष्मी पूजा होती है। भक्त कुमारी पूजन और अष्टमी हवन विशेष रूप से करते हैं।
यहाँ का नवरात्रि उत्सव, माघ पूर्णिमा मेला और शक्ति साधना पर्व बेहद लोकप्रिय हैं।
कहा जाता है, आने वाला चंद्र ग्रहण कब है — इस प्रश्न का उत्तर जानने वाले साधक यहाँ ग्रहण काल में ध्यान करने से विशेष सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं।
चट्टल भवानी शक्तिपीठ की ऊर्जा विशेष रूप से शनि दोष निवारण और मंगल दोष क्या है और उपाय जैसे ज्योतिषीय प्रश्नों से जुड़ी मानी जाती है।
यह स्थान राशिफल आज का हिंदी में और दैनिक राशिफल हिंदी में देखने वालों के लिए भी एक प्रेरणा है कि कैसे ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति हमारे जीवन की दिशा तय करती है।
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपनी प्रेम विवाह कुंडली या महादशा में असंतुलन अनुभव करता है, वह अगर माँ चट्टल भवानी की आराधना करे, तो उसका त्रिकोण भाव और भाग्य भाव मजबूत हो जाता है।
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स्थान: चट्टोग्राम (बांग्लादेश)
मुख्य मंदिर: देवी चट्टल भवानी का प्राचीन शक्तिपीठ
निकटतम रेलवे स्टेशन: चटगांव जंक्शन
हवाई अड्डा: शाह अमानत इंटरनेशनल एयरपोर्ट
भारत से कैसे पहुँचे:
भारत से ढाका या चटगांव तक हवाई या बस यात्रा की जा सकती है। वहाँ से स्थानीय टैक्सी या बस से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
क्या देखें:
माँ चट्टल भवानी का गर्भगृह
प्राचीन अग्नि स्थल जहाँ आज भी मिट्टी से ऊष्मा निकलती है
शक्तिकुंड और साधना स्थल
शिवलिंग जहाँ श्रद्धालु जल चढ़ाते हैं
टिप्स:
श्रद्धा और शुद्ध मन से ही मंदिर में प्रवेश करें।
फोटोग्राफी से पहले अनुमति लें।
यात्रा से पहले स्थानीय उत्सव की तिथियाँ जांच लें।
पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेज़ साथ रखें (क्योंकि यह शक्तिपीठ बांग्लादेश में है)।
आज की व्यस्त जीवनशैली में जहाँ तनाव और असंतुलन आम हो गया है, वहीं शक्तिपीठों की यात्रा मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने का माध्यम बन सकती है।
यदि आपकी कुंडली में शनि दोष, मंगल दोष, या विवाह संबंधित अड़चनें हैं, तो माँ चट्टल भवानी की भक्ति से मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
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चटगांव का यह अद्भुत शक्तिपीठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि जीवंत शक्ति का प्रतीक है।
यहाँ धरती से उठती अग्नि हमें यह सिखाती है कि माँ शक्ति कभी मौन नहीं होती — वह सदा जीवित है, सदा सक्रिय है।
जो भी व्यक्ति सच्ची निष्ठा से यहाँ माँ के दर्शन करता है, उसके जीवन की नकारात्मक ऊर्जा स्वतः समाप्त हो जाती है।
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