भारत की धरती देवी-देवताओं के पावन स्थलों से भरी हुई है। यहाँ प्रत्येक शक्तिपीठ एक अद्भुत कहानी और गहन आस्था से जुड़ा है। जनस्थान शक्तिपीठ, महाराष्ट्र में स्थित, ऐसा ही एक धाम है जहाँ माँ सती की ठोड़ी गिरी थी। यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि ज्योतिष और आध्यात्मिक साधना के लिए भी विशेष माना जाता है। नवरात्रि में यहाँ आकर भक्त अपनी आस्था व्यक्त करते हैं और देवी माँ से जीवन की समस्याओं के समाधान की कामना करते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती का अपमान हुआ तो उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। व्यथित शिवजी उनके शरीर को लेकर विचरण करने लगे। तभी भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित कर दिया। जहाँ-जहाँ उनके अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
जनस्थान शक्तिपीठ उन्हीं में से एक है, जहाँ माता की ठोड़ी गिरी थी। यह स्थल भक्तों के लिए दिव्य आस्था और चमत्कारी अनुभव का केंद्र माना जाता है।
भक्त अखंड ज्योति जलाते हैं और देवी माँ की आरती गाते हैं।
मंगलवार और शुक्रवार को विशेष पूजा का आयोजन होता है।
देवी के दर्शन मात्र से भक्तों को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है।
यहाँ आयोजित भंडारे और जगराते श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र होते हैं।
जनस्थान शक्तिपीठ का गहरा संबंध जन्म कुंडली और ज्योतिषीय उपायों से जोड़ा जाता है।
जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष है, उनके लिए यहाँ पूजा-अर्चना शुभ मानी जाती है।
बहुत से लोग अपनी जन्म कुंडली इन हिंदी लेकर आते हैं और पंडितों से परामर्श प्राप्त करते हैं।
आज का राशिफल हिंदी में पढ़कर यहाँ आने वाले भक्त अपनी पूजा और यात्रा का समय निर्धारित करते हैं।
लाल किताब के सरल उपायों का महत्व यहाँ भी समझाया जाता है, जिससे जीवन की कठिनाइयाँ कम होती हैं।
आने वाले वर्ष 2025 का राशिफल जानकर भक्त यह मानते हैं कि देवी माँ की शरण में जाने से ग्रहों का दुष्प्रभाव कम होगा।
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आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग मानसिक तनाव और ग्रह दोषों से परेशान रहते हैं। जनस्थान शक्तिपीठ की यात्रा आत्मबल और शांति का अद्भुत अनुभव कराती है। ज्योतिष के अनुसार, यहाँ आकर शनि की साढ़ेसाती और अन्य दोषों के प्रभाव को कम करने की प्रार्थना की जाती है। यह स्थल हमें यह भी याद दिलाता है कि आस्था और आत्मविश्वास जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की सबसे बड़ी शक्ति है।
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