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किरीटेश्वरी शक्तिपीठ क्यों है खास? किरीटकोण गाँव का पवित्र स्थल जहाँ गिरा देवी सती का मुकुट

Created by Asttrolok in Astrology 4 Oct 2025
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किरीटेश्वरी शक्तिपीठ क्यों है खास? किरीटकोण गाँव का पवित्र स्थल जहाँ गिरा देवी सती का मुकुट

भारत की धरती पर जितने भी शक्तिपीठ स्थापित हैं, वे सभी माँ शक्ति की अद्भुत महिमा और आस्था का प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक है किरीटेश्वरी शक्तिपीठ, जो पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोण गाँव में स्थित है। यह वह पवित्र स्थल है जहाँ माँ सती का मुकुट (किरीट) गिरा था। इसलिए इसे शक्तिपीठों की रानी भी कहा जाता है। यहाँ का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और गहरी शांति का अनुभव कराता है।


किरीटेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास और महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब ब्रह्मांड की रक्षा हेतु भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को कई भागों में विभाजित कर दिया। इन भागों के जहाँ-जहाँ अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

कहा जाता है कि इसी प्रक्रिया में माता सती का मुकुट यहाँ गिरा और यह स्थान किरीटेश्वरी शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यहाँ देवी को महिषमर्दिनी के रूप में पूजा जाता है और भैरव के रूप में सम्वर्त विराजमान हैं।


मंदिर की विशेषताएँ और अनुष्ठान
✔️    यहाँ प्रतिदिन सुबह और शाम को विशेष पूजा और आरती होती है।
✔️    नवरात्रि, दुर्गा पूजा और विशेष त्योहारों पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
✔️    मंदिर परिसर में शक्ति उपासना और तंत्र साधना की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।
✔️    यहाँ आकर भक्त अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति करते हैं।


ज्योतिष से किरीटेश्वरी शक्तिपीठ का संबंध

✔️   भारतीय संस्कृति में शक्तिपीठों को केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शक्तिशाली माना गया है।
✔️   जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष या मंगल दोष जैसे दोष होते हैं, वे यहाँ आकर शांति की कामना करते हैं।
✔️   जीवन में शनि की साढ़ेसाती जैसी स्थिति से गुजर रहे भक्त यहाँ दर्शन करके राहत अनुभव करते हैं।
✔️   कुंडली मिलान से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए भी माता किरीटेश्वरी की कृपा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
✔️   यहाँ भक्त अक्सर चौघड़िया देखकर ही अनुष्ठान करते हैं ताकि उनके कार्य शुभ समय पर संपन्न हों।
वास्तु शास्त्र की दृष्टि से मंदिर की संरचना ऊर्जा का अद्भुत प्रवाह कराती है।

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यात्रा गाइड: कैसे पहुँचें किरीटेश्वरी शक्तिपीठ?
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन जियागंज है, जहाँ से मंदिर तक ऑटो या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: मुर्शिदाबाद और बर्दवान से सीधा सड़क मार्ग उपलब्ध है।
हवाई मार्ग: सबसे निकट हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

क्या देखें:
✔️   प्राचीन मंदिर का स्थापत्य और यहाँ स्थापित देवी की मूर्ति।
✔️   नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय मंदिर का भव्य वातावरण।
✔️   मंदिर के चारों ओर फैला शांत प्राकृतिक सौंदर्य।

यात्रा टिप्स:
✔️   सुबह और शाम की आरती का अनुभव अवश्य करें।
✔️   नवरात्रि के समय यात्रा करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
✔️   स्थानीय बंगाली भोजन और संस्कृति का आनंद लेना न भूलें।


आधुनिक जीवन में किरीटेश्वरी शक्तिपीठ का महत्व

आज के समय में जब जीवन भागदौड़ और तनाव से भरा हुआ है, ऐसे में किरीटेश्वरी शक्तिपीठ आस्था और आत्मशांति का एक अद्वितीय स्थान है।
यहाँ आने से व्यक्ति अपने भीतर की ऊर्जा और सकारात्मकता को महसूस करता है।
यह स्थान हमें याद दिलाता है कि चाहे समस्याएँ कैसी भी हों, भक्ति और विश्वास से उनका समाधान संभव है।
जो लोग आज का राशिफल हिंदी में या अपनी लाल किताब संबंधी मार्गदर्शन की तलाश में रहते हैं, उनके लिए यह धाम श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है।


निष्कर्ष

किरीटेश्वरी शक्तिपीठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आस्था, ज्योतिष और आध्यात्मिक साधना का संगम है। जहाँ एक ओर यह हमें प्राचीन परंपराओं से जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक जीवन की परेशानियों का समाधान भी करता है। जो भी भक्त यहाँ दर्शन करता है, वह माँ के आशीर्वाद से आत्मिक शांति और जीवन की कठिनाइयों से राहत पाता है।


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