भारत की हर भूमि देवी शक्ति से ओतप्रोत है, लेकिन दक्षिण भारत की धरती पर एक ऐसा स्थान है जहाँ भक्ति, इतिहास और ऊर्जा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है — यह स्थान है कर्णाट शक्तिपीठ। कर्नाटक के मैसूर के पास स्थित यह शक्तिपीठ चामुंडेश्वरी देवी को समर्पित है, जो माँ दुर्गा के भयानक रूपों में से एक हैं। कहा जाता है कि यहाँ देवी ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, और तभी से यह भूमि “महिषूर” (आज का मैसूर) नाम से प्रसिद्ध हुई।
पुराणों के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपमानित होकर देह त्याग दी, तो भगवान शिव ने उनके शरीर को लेकर तांडव किया। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को विभाजित किया, और जहाँ-जहाँ उनके अंग गिरे, वहाँ ५१ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
ऐसा माना जाता है कि सती का केश (बाल) इस स्थान पर गिरे थे। इसलिए इस स्थल को कर्णाट शक्तिपीठ कहा गया। देवी यहाँ चामुंडेश्वरी के रूप में पूजी जाती हैं, और भगवान शिव क्रौंचेश्वर के रूप में विराजमान हैं।
यह स्थान न केवल शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है, बल्कि कर्नाटक का रक्षक स्थल भी माना जाता है — जहाँ से देवी संपूर्ण दक्षिण भारत की रक्षा करती हैं।
माँ चामुंडेश्वरी का स्वरूप अत्यंत दिव्य है। आठ भुजाओं वाली देवी, जो महिषासुर के सिर पर पांव रखे हुए हैं, शक्ति और विजय की प्रतीक हैं।
मंदिर के गर्भगृह में माँ की प्रतिमा काले पत्थर से बनी हुई है और उनकी आँखों में सोने की चमक है, जो भक्तों के हृदय में तुरंत भक्ति का भाव जगा देती है।
यहाँ एक अनोखी परंपरा है — महिषासुर मर्दिनी पूजा, जो हर वर्ष अश्विन मास में नवरात्रि के समय की जाती है। इस दौरान देवी को 108 दीपों से सजाया जाता है और भक्त पूरे नौ दिन तक देवी की अखंड ज्योति के दर्शन करते हैं।
नवरात्रि उत्सव: यह यहाँ का सबसे बड़ा पर्व है, जिसमें हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते हैं।
चामुंडी जयन्ती: इस दिन देवी के विशेष श्रृंगार के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
मंगलवार और शुक्रवार को देवी की आरती विशेष मानी जाती है।
मंदिर परिसर में स्थित महिषासुर प्रतिमा भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। यह प्रतीक है सत् और असत् के संघर्ष का, जो हर इंसान के भीतर चलता रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की महादशा में राहु, केतु या शनि जैसे ग्रह अशांत परिणाम दे रहे हों, तब माँ चामुंडेश्वरी की आराधना अत्यंत फलदायी होती है।
यह शक्तिपीठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना गया है जिनकी कुंडली हिंदी में ग्रहों की स्थिति असंतुलन पैदा कर रही हो।
देवी की कृपा से व्यक्ति के त्रिकोण भाव (ज्ञान, भाग्य और धर्म भाव) मजबूत होते हैं, जिससे मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
यदि आप अपने ग्रहों की सटीक स्थिति जानना चाहते हैं, तो ज्योतिष परामर्श लेना आपके लिए उपयोगी रहेगा।
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स्थान: चामुंडी पहाड़ी, मैसूर, कर्नाटक
कैसे पहुँचे:
रेल मार्ग: मैसूर जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो बेंगलुरु और चेन्नई से अच्छी तरह जुड़ा है।
हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट बेंगलुरु (175 किमी) पर स्थित है।
सड़क मार्ग: बेंगलुरु से NH-275 मार्ग द्वारा आरामदायक यात्रा की जा सकती है।
क्या देखें:
देवी चामुंडेश्वरी का गर्भगृह
महिषासुर प्रतिमा
नंदी की विशाल प्रतिमा (जो पहाड़ी की चढ़ाई में मिलती है)
मैसूर शहर का मनोरम दृश्य (चामुंडी हिल्स से दिखने वाला)
ट्रैवल टिप्स:
पहाड़ी पर चढ़ाई सीढ़ियों या वाहन दोनों से की जा सकती है।
सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन का समय है।
नवरात्रि में अत्यधिक भीड़ होती है, इसलिए ऑनलाइन दर्शन स्लॉट पहले से बुक करें।
मंदिर परिसर में प्रसाद के रूप में “मिश्री-नारियल” अत्यंत प्रसिद्ध है।
आज के व्यस्त जीवन में जहाँ मन और विचारों में अस्थिरता बढ़ रही है, वहीं माँ चामुंडेश्वरी की उपासना व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और मानसिक संतुलन देती है।
यह स्थान हमें यह सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियाँ आएँ, सत्य और शक्ति का मार्ग ही विजय दिलाता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह स्थान उन लोगों के लिए आदर्श है जो अपने जीवन में दिशा ढूंढ रहे हैं।
चाहे कुंडली मिलान ऑनलाइन कर रहे हों या जीवन के निर्णयों में उलझे हों — माँ की कृपा और ज्योतिष दोनों ही जीवन के संतुलन में मददगार हैं।
कर्णाट शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह शक्ति, साहस और विश्वास का जीवंत प्रतीक है।
यहाँ देवी चामुंडेश्वरी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, भक्ति और साहस का दीपक उसे दूर कर सकता है।
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