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जन्मकुंडली में मंगल राहु युति का प्रभाव !

Created by Asttrolok in Astrology 30 Aug 2023
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जन्मकुंडली में मंगल राहु युति का प्रभाव !

इसके पहले हम राहु के सूर्य के साथ योग व राहु के चंद्रमा के साथ योग से जातक पर पड़ने वाले प्रभावों को विस्तार से जान चुके हैं । उसी कड़ी में आज हम जानने वाले हैं कि जन्म कुंडली में मंगल राहु की युति होने से जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सामान्यतः राहु की युति को अशुभ फल प्रदान करने वाला ही माना जाता है । इसके पहले के दो लेखों में भी हम यह देख चुके हैं कि राहु की युति जातक के लिए थोड़ी ही सही किन्तु अशुभ सिद्ध अवश्य होती है । आज के लेख में हम जानेंगे कि मंगल राहु के योग से सभी राशियों के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है ?

मंगल उत्साह ,पौरुष व पराक्रम का कारक ग्रह है । राहु छाया व भ्रम का कारक ग्रह है । राहु के साथ योग होने पर यह अंगारक नामक योग बनाता है। जन्म कुंडली में मंगल राहु युति के समस्त प्रभावों के विश्लेषण के लिए कुंडली के उस भाव की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है जिसमें यह युति बन रही हो । इसलिए राजयोग का अर्थ यह नहीं होता है कि जातक राजा ही बन जाएगा , ठीक इसी प्रकार दुर्योग का यह आशय नहीं समझना चाहिए कि अब जातक के जीवन में सब कुछ बुरा ही बुरा होने वाला है । 

कई बार दुर्योग जातक के जीवन से जुड़े हुए किसी एक पक्ष को नुकसान पहुंचाता है तो कई बात ऐसा भी होता है कि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ जाए तो दुर्योग का प्रभाव लगभग ना के बराबर हो जाता है । 

मंगल राहु की युति होने से जो सामान्य प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर देखने को मिलता है वो यह है कि मंगल राहु के योग से जातक के अंदर क्रोध भाव अत्यधिक बढ़ जाता है । ऐसा जातक शांत या स्थिर नहीं रह पाता है । जाहिर सी बात है जो व्यक्ति अत्यंत क्रोध करने वाला होगा , स्वयं पर नियंत्रण कैसे रख पाएगा ? बगैर स्वनियंत्रण के सफल होना बहुत मुश्किल होता है ।

मंगल राहु के योग को अधिक नकारात्मक और दुष्परिणाम देने वाला योग माना जाता है। हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी के साथ ऑनलाइन ज्योतिष परामर्श प्राप्त करें और अपने जन्म चार्ट, विवाह और जीवन पर समाधान प्राप्त करें।


जन्मकुंडली के लग्न भाव में मंगल राहु युति का प्रभाव -


जन्म कुंडली के प्रथम भाव यानि लग्न भाव में मंगल राहु की युति होने से जातक स्वार्थी हो जाता है । वह केवल अपने ही हित की सोचता है और इसके लिए वह अन्य किसी का नुकसान करने से भी पीछे नहीं हटता। आध्यात्मिक दृष्टि ये निश्चित रूप से अच्छा नहीं है किन्तु आज के समय में जहाँ सब भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं, ऐसे में अगर कोई अपने बारे में सोच रहा है तो इसमें क्या बुरा है ? हालांकि आजकल अधिकतर लोग इसी प्रवृत्ति के हैं किन्तु जिन जातकों की जन्म कुंडली में यह युति होती है, उनकी स्वार्थी प्रवृत्ति सबके सामने दिखने लगती है ।


जन्मकुंडली के द्वितीय भाव में मंगल राहु युति का प्रभाव -


जन्म कुंडली के द्वितीय भाव यानि धन भाव में मंगल राहु के योग से जातक को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती हैं । इसके अलावा उसको आर्थिक हानि का सामना भी करना पड़ सकता है । मंगल राहु का यह योग जातक की वाणी में कटुता लाने का कार्य करेगा जिसके चलते जातक के निजी संबंध प्रभावित होंगे । अगर इस भाव में किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ जाए तो इस युति के दुष्प्रभवाओं में कुछ हद तक कमी आ सकती है । 

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जन्मकुंडली के तृतीय भाव में मंगल राहु युति का प्रभाव -


जन्म कुंडली के तीसरे भाव में मंगल राहु का योग जातक के लिए शुभ फलदायी सिद्ध होगा । ऐसा जातक मेहनती व पुरुषार्थी होगा । अपनी मेहनत से वह कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करेगा । 

अगर इस भाव में किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ जाए तो जातक को कुछ नुकसान हो सकता है । ये भी संभव है कि जातक को उसकी मेहनत का पूरा फल ना मिले ।


निष्कर्ष -

आज हमने जन्म कुंडली के तीन भावों में मंगल राहु के योग से होने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया । आगे के लेख में हम जन्म कुंडली के अगले भावों में मंगल राहु युति के प्रभावों को जानेंगे । 

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