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पिछला जन्म और अगला जन्म हम सबके लिए हमेशा से रहस्य का विषय रहा है । बहुत से लोग पिछले जन्म या अगले जन्म को नहीं मानते हैं किन्तु कई लोगों का विश्वास इतना मजबूत होता है कि उन्हें यह तक याद होता है वो पिछले जन्म में कहाँ थे ?क्या करते थे ? इस बारे में ज्योतिष क्या कहता है , आज के लेख में हम यही जानने वाले हैं ।
ज्योतिष की मदद से हम समझेंगे कि अपनी जन्म कुंडली को देख कर पिछले जन्म के बारे में कैसे पता किया जा सकता है ?
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जन्मकुंडली में पूर्व जन्म का स्थान -
जन्म कुंडली के पंचम भाव से पिछले जन्म के बारे में पता किया जाता है । कुंडली की लग्न राशि को पंचम स्थान में रख कर पूर्व जन्म का विचार किया जाता है यानि जन्म कुंडली के पंचम भाव को लग्न बना कर व अन्य भावों को पंचम ग्रह के अनुसार बदल कर देखने से हमारे सामने जो जन्म कुंडली बन जाती है, वो हमारे पिछले जन्म की कुंडली होती है ।
जन्म कुंडली का एक और भाव हमारे पिछले जन्म के बारे में बताता है । जन्म कुंडली के जिस भाव में शनि देव विराजमान हों उस भाव को लग्न बनाकर हम पिछले जन्म का विचार कर सकते हैं । इसके पीछे वजह है कि शनि हमारे कर्मों के देवता हैं और पिछले जन्म के जिन कर्मों का फल हम वर्तमान जन्म में भुगत रहे हैं उससे हमें पिछले जन्म के बारे में पता चल सकता है ।
शनि की मदद से पूर्व जन्म का विचार -
जन्म कुंडली के प्रथम भाव यानि लग्न भाव या चतुर्थ भाव या सप्तम भाव या एकादश भाव में शनि होने का अर्थ है कि व्यक्ति का परिवार पिछले जन्म में दरिद्र व निम्न कोटि का था । शनि दरिद्रता व निम्नता का कारक ग्रह है । लग्न भाव व लग्न भाव पर दृष्टि रखने वाले भावों में शनि के होने से यह पता चलता है कि व्यक्ति का पिछला जीवन बहुत कष्ट में व धन के अभाव में बीता है । इससे यह भी पता चलता है कि पिछले जन्म में संबंधित व्यक्ति पाप कार्यों में संलग्न रहा है ।
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सूर्य की मदद से पूर्व जन्म का विचार -
जन्म कुंडली में सूर्य की मदद से भी पूर्व जन्म का विचार किया जाता है । जन्म कुंडली के षष्ठ , अष्टम व द्वादश भाव में अगर तुला राशि का सूर्य हो तो ऐसा व्यक्ति अपने पिछले जन्म में भ्रष्टाचार के कार्यों में लिप्त रहा है । सूर्य हमारी आत्मा के कारक ग्रह हैं और जन्म कुंडली के सूर्य की निम्न स्थिति होने के अर्थ है कि हमारा आत्मिक बल उच्च व पवित्र नहीं है जिससे हम सही व तटस्थ होकर निर्णय नहीं ले पाते हैं। कुल मिलाकर ऐसे व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्म अच्छे नहीं हैं ।
गुरु की मदद से पूर्व जन्म का विचार -
अगर जन्म कुंडली के पंचम या नवम भाव में गुरु हैं तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने पिछले जन्म में उच्च कोटि में जन्मा था । वह बेहद आध्यात्मिक व समझदार था । इसके अलावा अगर पंचम या नवम भाव के गुरु पर शुक्र या चंद्र की दृष्टि पड़ रही है तो व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म में बहुत पुण्य कार्य किये हैं ।
शुक्र की मदद से पूर्व जन्म का विचार -
शुक्र ऐश्वर्य के कारक हैं । जन्म कुंडली के लग्न भाव या सप्तम भाव में शुक्र के होने का अर्थ है कि ऐसे व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म में सभी तरह के सुख भोगे हैं । उसके पास धन की कोई कमी नहीं रही है । उसका दाम्पत्य जीवन भी बहुत सुखमय रहा है ।
निष्कर्ष -
आज हमने जन्म कुंडली के कुछ ग्रहों की मदद से पूर्व जन्म पर विचार किया । पूर्व जन्म के विषय अन्य ग्रहों की मदद से भी विचार किया जा सकता है ,जिसके बारे में हम अगले लेख में बात करेंगे ।
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