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आजकल के दूषित वातावरण,प्रदुषण और गलत रहन सहन की वजह से अस्थमा जैसी बीमारी के रोगी बढ़ते जा रहे है। अस्थमा छोटे बच्चो से लेकर बडो को हो सकता है। अस्थमा फेफड़ो से जुडी एक कष्टकारी बीमारी है। इसमें व्यक्ति फेफड़ो की वायु नलिकाओ में सूजन आने लगती है जिससे व्यक्ति को साँस लेने में परेशानी होती है।
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अस्थमा के लक्षण (Symptoms of asthma)
- यदि व्यक्ति को सूखी खांसी या बलगम वाली खांसी ज्यादा हो रही हो तो उसे अस्थमा हो सकता है।
- जिनको अस्थमा होता है उन्हें छाती में जकडन सी महसूस होती है और उन्हें साँस लेने में भी दिक्कते आती हैं।
- जब व्यक्ति साँस लेता है खडखड आवाज आती है और उसकी सुबह और रात को ज्यादा हालत ख़राब हो जाती है।
- जिन्हें अस्थमा होता है उनके लिए ठंडी हवा में ज्यादा रहने में दिक्कत होती है और कई बार उनकी हालत ज्यादा ख़राब हो जाती है।
- जिन्हें अस्थमा होता है वो धीरे धीरे नही बल्कि तेज तेज सांसे लेते हैं जिससे वो थोडा सा काम करने में ही थक जाते हैं। कई बार उन्हें उल्टी जैसा भी महसूस होता है।
अस्थमा के प्रकार (Type of Asthma)
- एलर्जिक अस्थमा-इस तरह का अस्थमा व्यक्ति को तब होता है जब उसे किसी चीज से जैसे धूल-मिट्टी से एलर्जी होती है। कुछ लोग जैसे ही धुंए या धूल के संपर्क में आते हैं उनको अस्थमा के अटैक आने लगते हैं। कुछ लोग बस मौसम में बदलाव आते ही इसका शिकार हो जाते हैं।
- नॉनएलर्जिक अस्थमा - जब व्यक्ति की बॉडी में कोई एक तत्व या चीज बहुत ज्यादा होती है तो वो स्ट्रेस में आ जाते हैं और स्ट्रेस से अस्थमा का अटैक आ जाता है। कुछ लोग तो जोर से हंसने पर या सर्दी जुखाम होने से नॉनएलर्जिक अस्थमा की परेशानी शुरू हो जाती है।
- मिक्सड अस्थमा - मिक्स्ड एलर्जिक और नॉन एलर्जिक दोनों कारणों से होता है।
- एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा - ज्यादा पारिश्रमिक श्रम करने या एक्सरसाइज से भी अस्थमा का अटैक होने लगता है अर्थात क्षमता से ज्यादा काम करने से अस्थमा हो सकता है।
- कफ वेरिएंट अस्थमा - छाती में ज्यादा कफ होने के कारण कफ वेरिएंट अस्थमा होता है। इसमें व्यक्ति को बहुत तेज कफ वाली खांसी होती है।
- ऑक्यूपेशनल अस्थमा - इस तरह का अस्थमा अटैक व्यक्ति को कभी भी अचानक कम करते करते पड़ जाता है।
- नॉक्टेर्नल अस्थमा- इस तरह का अस्थमा रात को आता है। कई बार रात को रोगी को अस्थमा का अटैक आने लगता है।
- मिमिक अस्थमा - इस तरह का अटैक कुछ बीमारियों के कारण जैसे कार्डियक और निमोनिया आदि के कारण होता है। ये कई बार ज्यादा तबियत ख़राब होने पर भी होने लगता है।
- चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा - बच्चो को ये अस्थमा होता है और कई बार बड़े होते होते अपने आप ठीक हो जाता है।
- एडल्ट ऑनसेट अस्थमा- इस तरह का अस्थमा युवाओं को २० साल के बाद होता है।
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अस्थमा के कारण
वैसे तो आज तक अस्थमा के असल कारण के बारे में पता नही चल पाया है लेकिन डॉक्टर्स के अनुसार अस्थमा के कुछ मुख्य कारण निम्न हैं -
- धूम्रपान -स्मोकिंग करने वालो को साँस की बीमारी होने की सम्भावना 90% ज्यादा होती है।
- मोटापा -डॉक्टर्स के अनुसार मोटापा भी अस्थमा का कारण हो सकता है।
- एलर्जी होना -अस्थमा ज्यादातर एलर्जी की वजह से होती है इसी कारण जिनको अस्थमा होता है उन्हें डॉक्टर एलर्जी से बचने को कहते हैं।
- स्ट्रेस लेना -वर्तमान में हर कोई पैसा कमाने के लिए दौड़ रहा है और इस वजह से वो हर समय तनाव में रहते हैं। ज्यादा स्ट्रेस होने की वजह से कई बार बीमारियाँ घेर लेती हैं और उन बीमारियों से एक है अस्थमा।
- प्रदूषण - प्रदूषण की वजह से भी कई लोगो को अस्थमा होता है ख़ास ऐसी शहरों में जहाँ पर सेहत के लिए घातक प्रदूषण अपने चरम स्तर पर होता है जैसी कि दिल्ली।
अस्थमा के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां
- पिप्पली: -पिप्पली जड़ी बूटी का इस्तेमाल शरीर से कफ निकालने में किया जाता है। ये अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और ऐसी ही अन्य कफ सम्बन्धी बीमारियों के कारगर इलाज है। ये कफ के साथ साथ टॉक्सिक पदार्थ भी शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। एक बात का ध्यान रखे इसके सेवन से पित्त बढ़ने की सम्भावना होती है। इसलिए इसका इस्तेमाल सावधानी से करे।
- शहद :-शहद में विटामिन्स, कार्बोहाइड्रेट और मिनरल्स होते हैं। इसका इस्तेमाल मुख्यत: बच्चो की खांसी में इस्तेमाल होता है। इससे बच्चो को अच्छी नींद भी आती है। इसके सेवन से व्यक्ति को ताकत भी महसूस होती है। कई खांसी वाली दवाइयों में शहद का इस्तेमाल होता है। शहद का सेवन छोटे और बड़ो दोनों के लिए फायदेमंद है।
- रसोनम:- रसोनम भी काफ विकारो के लिए उपयोगी जड़ी बूटी है। इससे शरीर को ताकत मिलती है और जुखाम, खांसी और अस्थमा को कण्ट्रोल करने में प्रभावकारी है।
- हींग :- हींग का प्रयोग कब्ज के लिए तो किया जाता है साथ ही इसका इस्तेमाल सिरदर्द, अस्थमा, खांसी, गैस आदि के लिए भी किया जाता है। अगर आपको पित्त दोष है तो हींग का इस्तेमाल न करे।
- सौंठ:- सौंठ में कफ काटने का चमत्कारिक गुण है। इसे सर्दी, खांसी के लिए बनाए जा रहे कई काढो में इस्तेमाल होता है। छाती में कफ महसूस होने पर अदरक की चाय पीने से बहुत आराम आता है। यदि अदरक को काले नमक के साथ दिया गया तो वात कम होता है, मिश्री के साथ अदरक देने से पित्त कम होता है और यदि शहद के साथ दिया जाए तो कफ दोष में राहत मिलती है। ध्यान रहे सिर्फ अदरक लेने से पित्त बढ़ जाता है।
- वसाका:- वसाका आयुर्वेदिक जड़ी बूटी अस्थमा के लिए कारगर मानी जाती है। इसके इस्तेमाल से कफ में आराम मिलता है और इससे सांस की नालियां चौड़ी हो जाती है। इसका अर्क, पाउडर और काढ़ा इस्तेमाल में लाया जाता है।
इसके अलावा कंटकारी, हरीतकी जड़ी बूटी का भी इस्तेमाल होता है।
क्या आप भी अस्थमा का आयुर्वेदिक इलाज करवाया है, अगर हाँ तो हमे कमेंट करके उससे आपको हुए फायदों के बारे में जरुर बताएं।
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