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जब भी कोई घर घर बनाता है तो वो कमरों के साथ साथ अपने लिए एक खूबसूरत और हवादार बालकनी जरुर बनाता है जहाँ वो फुर्सत के कुछ पल बिताएगा। पहले घर में आँगन हुआ करते थे लेकिन आजकल बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स में छोटी और कही बड़ी बालकनी बनाई जाती है। बालकनी होना बहुत जरूरी है क्योकि इससे घर में शुद्ध और ताज़ी हवा के साथ साथ रौशनी भी आती है। बालकनी वो ख़ास जगह है जहाँ लोग सुबह अपनी चाय का मज़ा लेकर दिन की शुरवात करना पसंद करते हैं। प्यारे घर के इस इम्पोर्टेन्ट कोने को हमेशा ही वास्तु अनुसार ही बनाए क्योकि वास्तु अनुसार बालकनी यदि गलत दिशा में बनाई जाए तो उसका घर पर दुष्प्रभाव पड़ता है।आज की पोस्ट में हम आपको कुछ जरुरी वास्तु टिप्स बताने वाले हैं जो आपको बालकनी के विषय में पता होने चाहिए। चलिए शुरू करते हैं।
वास्तु के अनुसार बालकनी
वास्तु अनुसार बालकनी घर के उत्तर, पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में होनी चाहिए। इन दिशाओ से घर में सूर्य की रौशनी और धूप आती है। इससे सेहत तो अच्छी रहती है साथ ही घर में सकारात्मकता भी आती है। वास्तु अनुसार पश्चिम या दक्षिण दिशा में बालकनी बनाना शुभ नही होता है। इतना ही नही इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि बालकनी का फर्श बाकी कमरों की तुलना में नीचे हो।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की बालकनी की छत में ढलाव होना चाहिए और ये ढलाव पूर्व या उत्तर की और होना चाहिए। ध्यान रहे ये ढलाव पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर न हो। घर की बालकनी की छत बाकी कमरों की तुलना में नीची होनी चाहिए। बालकनी की छत टिन या लोहे के पतरों आदि की बनी हुई नही होनी चाहिए क्योकि ये चीजे घर में ज्यादा ऊर्जा और गर्मी को अवशोषित करती है, जिससे घर में रहने वालो पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
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बालकनी का रंग भी वास्तु अनुसार होना चाहिए। बालकनी में ऐसा रंग लगाना चाहिए जो दिमाग को रिलैक्स करे क्योकि ज्यादातर लोग शाम को रिलैक्स करने या सुबह योग करने के लिए बालकनी का इस्तेमाल करते हैं। बालकनी की दीवारे हल्के रंग की होनी चाहिए जैसे सफ़ेद, हल्का नीला, गुलाबी या समुद्री नीला रंग।
घर में बालकनी इस उद्देश्य से बनाई जाती है कि दिन में कुछ देर हम वहां बैठकर रिलैक्स करेगे इसलिए बालकनी का फर्नीचर वास्तु अनुसार ही होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार बालकनी में कभी भी बड़े और भारी फर्नीचर नही रखना चाहिए। बालकनी में कुर्सियां या बेंत की बने फर्नीचर या बीन बैग रखे जा सकते हैं। फर्नीचर को पश्चिम दिशा में रखे, ये शुभ होता है। यदि आप बालकनी में झूला लगा रहे हैं तो उसकी दिशा दक्षिण या उत्तर होनी चाहिए।
आजकल लोग घर के साथ साथ बालकनी को भी बहुत सजाते हैं। उसे सजान के लिए रंग बिरंगे फूलो वाले गमले लगाते है। ये वास्तु अनुसार सही है। ऐसा करने से बालकनी से घर में पॉजिटिव एनर्जी आएगी। ध्यान रहे बालकनी में कोई पेड़ न लगाए। वास्तु अनुसार बालकनी में पील वाले पौधे नही लगाने चाहिए, ऐसे पौधे अपनी तरह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।
वास्तु अनुसार बालकनी में न तो तीज रौशनी वाली लाइट लगानी चाहिए और न ही बहुत कम रौशनी वाली लाइट। लाइट ऐसी होनी चाहिए जो बहुत ज्यादा तेज भी न हो और बालकनी में बैठने वाले लोगो की आँखों में चुभे भी नही। वास्तु अनुसार कभी भी बालकनी में अँधेरा नही होना चाहिए। वास्तु अनुसार ऐसा करना घर की तरफ दुर्भाग्य को आकर्षित करने जैसा है।
डेकोरेशन के तौर पर बालकनी में आजकल फव्वारा लगाया जाता है। वास्तु अनुसार अगर आप फव्वारा लगा रहे हैं तो उसे उत्तर पूर्व दिशा में लगाए।
कुछ लोग घर का सारा कबाड़ अपनी बालकनी में रखते हैं। ये वास्तु अनुसार सही नही होता। जिस तरह घर के मुख्य दरवाजे से सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है उसी तरह बालकनी से भी घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है इसलिए घर के साथ साथ बालकनी को भी साफ़ सुथरा रखे। बालकनी क्या घर में कही भी कबाड़ नही रखना चाहिए और अगर रखना बेहद जरुरी है तो उसके लिए एक स्टोर रूम बनवाए जहाँ कबाड़ को भी व्यवस्थित रूप से रखे। यदि आप अपना घर बनवाने वाले हैं तो ऊपर बताए टिप्स को जरुर ध्यान में रखे और अगर आप बने बनाए घर में शिफ्ट होने वाले हैं और आप अपने घर का वास्तु दोष पता करके उनका निवारण करना चाहते हैं और किसी अनुभवी और एक्सपर्ट वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करे।
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