INR (₹)
India Rupee
$
United States Dollar

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जन्म कुंडली का विश्लेषण

Created by Asttrolok in Astrology 30 Aug 2023
Share
Views: 649
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जन्म कुंडली का विश्लेषण

सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को दोपहर 12बजकर 15 मिनट पर कटक (उड़ीसा ) में हुआ था । भारत में एक से बढ़कर एक नेता हुए किंतु सुभाष चन्द्र बोस की तुलना किसी से नही की जा सकती दूसरो को अपनी और आकर्षित करने वाला जोशीला और चुंबकीय व्यक्ति जीनियस , दूरदर्शी । ब्रिटिश काल में अंग्रेजो को अपनी इंडियन सिविल सर्विसेज पर बहुत नाज था । इंग्लैंड के युवाओं के लिए इसे उत्तीर्ण करना हंसी खेल नही था जबकि भारतीय तो इसके विषय में सोचते भी नही थे। जब 1920 में मात्र 23वर्ष की उम्र में नेता जी ने न केवल यह परीक्षा उत्तीर्ण की बल्कि मेरिट में चतुर्थ स्थान प्राप्त करा तो अंग्रेज स्तब्ध रह गए ।

सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23जनवरी 1897 को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर कटक ( उड़ीसा) में हुआ था उस समय उतराफागुनी नक्षत्र का चौथा चरण चल रहा था । उनका जन्म मेष लग्न में हुआ था उनकी चंद्र राशि कन्या थी विद्या के भाव पंचम में गुरु सिंह राशि में स्थित है सुभाष चन्द्र बोस जी बहुत विद्वान थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस बचपन से ही बहुत कुशाग्र बुद्धि के थे । पंचम में स्थित गुरु की पंचम दृष्टि नवम भाव स्वयं के भाव अर्थात धर्म के भाव पर पड़ रही हैं नेताजी का बचपन से ही आध्यात्मिक विषयों पर रुझान था वह राम कृष्ण परम हंस और स्वामी विवेका नंद के विचारो से बहुत प्रभावित थे। गुरु की नवी दृष्टि लग्न पर पड़ने से वह आध्यात्मिक प्रकृति के थे । गुरु की दृष्टि के कारण ऐसा जातक हमेशा सतमार्ग पर चलता है वह अन्याय कभी सहन नही करते थे चुंकि मेष लग्न का स्वामी मंगल है और ऐसे जातक स्वभाव से बहुत साहसी होते है । 1911में जब मंगल की महादशा चल रही थी उस समय एक अंग्रेज प्रोफेसर ने उनके साथी के साथ अभद्रता की थी उन्होंने उस समय अंग्रेज प्रोफेसर को खुब पिटा था ।

यह भी पढ़ें:-स्वामी विवेकानन्द जी की जन्म कुंडली का विष्लेषण

नेता जी की कुंडली दशम भाव में सूर्य, राहु, बुध की युति है एक तरफ तो बुधादित्य राज योग बनाती है दूसरी तरफ सूर्य , राहु का ग्रहण पित्र दोष उत्पन्न कर रहा है । अष्टम स्थित शनि की तिसरी दृष्टि सूर्य पर है सूर्य स्वयं शनि के भाव में स्थित सूर्य और शनि परस्पर शत्रु है । दशम भाव कर्म का है सूर्य राहु का पित्र दोष हो उस पर शनि की दृष्टि है । पिता के अनुरूप कर्म क्षेत्र चुनने के बाद भी नेताजी का अपने पिता से वैचारिक मत भेद था।

मेष लग्न के स्वामी मंगल द्वितीय भाव में शुक्र की राशि में चंद्रमा के नक्षत्र में विद्यमान है मंगल स्वयं पृथ्वी पुत्र है । मंगल असीम साहस से युक्त है मंगल ने नेताजी अत्यधिक उत्साह और साहस से भरपूर बनाया वाणी भाव में लग्नेश मंगल के कारण नेताजी की वाणी काफी प्रभाव पूर्ण थी जिसके कारण देश में ही नही वरन विदेश के युवा वर्ग को भी नेताजी ने अपना दिवाना बना लिया द्वितेश शुक्र लाभ भाव में बैठे हैं जिसके कारण नेताजी को कभी धन की कभी कमी नही हुई । तृतीयेश बुध पंचमेश बुध कर्म क्षेत्र में स्थित है जिस पर कर्मेश और लाभेश शनि की दृष्टि है । नेताजी ने अपनी बुद्धि के बल पर अपने प्रक्रमी स्वभाव के द्वारा आजद हिंद फोज का गठन करके स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा प्रदान की चतुर्थेश चंद्रमा के नक्षत्र में लग्नेश मंगल स्थित है । नेताजी की प्रांभिक शिक्षा मिशनरी स्कूल में हुई । चतुर्थेश चन्द्रमा पंचमेश सूर्य के नक्षत्र में छठे भाव में स्थित है । केतु चतुर्थ भाव में स्थित है और सूर्य की दृष्टि चतुर्थ भाव पर है । नेताजी की प्रारंभ से ही टापर विद्यार्थियों में गिनती होती थी । मातृ भाषा बंगला के साथ साथ अंग्रेजी भाषा पर भी उनका समान अधिकार था । डिग्री की पढ़ाई के लिए उन्होंने दर्शनशास्त्र में विषय चुना ।
सूर्य पंचमेश अर्थात शष्टेश के व्येश है अतः नेताजी के शत्रु स्वतः ही परास्त हो जाते थे । सप्तम भाव जीवन साथी का है सप्तमेश शुक्र गुरु के नक्षत्र में होकर एकादश भाव से पंचम को दृष्टि प्रदान कर रहे हैं लग्नेश मंगल की भी पंचम भाव पर दृष्टि है । गुरु पंचम भाव में बैठकर सप्तमेश शुक्र के साथ साथ लग्न को भी दृष्टि प्रदान कर रहे हैं । लग्नेश मंगल की भी पंचम भाव पर दृष्टि है शुक्र के नक्षत्र गुरु पंचम भाव में बैठकर सप्तमेश शुक्र के साथ लग्न को भी दृष्टि प्रदान कर रहे हैं लग्न, पंचम और सप्तम का यह संबध प्रेम संबध और मित्रता का घातक है यही कारण है की नेताजी के असंख्य मित्र थे इसके साथ ही उनका प्रेम विवाह हुआ । अष्टम भाव पर लग्नेश और अष्टमेश मंगल की दृष्टि है । अष्टम भाव में शनि विराजमान हैं ।
12लार्ड गुरु की मार्केश शुक्र और लग्न पर दृष्टि है 12th लार्ड गुरु लग्नेश , अष्टमेश मंगल मार्केश शुक्र और अष्टम में स्थित शनि द्वारा दृष्ट होने के कारण प्रबल मारक बन रहे हैं । यही कारण है नेताजी की मृत्यु गुरु की महादशा और चंद्र की अंतर्दशा में हुई ।

9th लार्ड गुरु 12th लार्ड भी है जिस पर शुक्र का पूर्ण प्रभाव है गुरु की लग्न पर दृष्टि । शुक्र पाश्चात्य शैली का कारक है यही कारण है सुभाष चन्द्र बोस के पिता पाश्चात्य सभ्यता और अंग्रेजी भाषा के प्रबल समर्थक थे और चाहते थे की उनके बच्चे भी पाश्चात्य संस्कृति को अपनाए जिसके कारण नेताजी को अंग्रेजो के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू करने के लिए विदेशों से सबसे अधिक सहायता मिली ।

1933 से1949 के मध्य गुरु की महादशा चल रही थी इसी बीच नेताजी ने विदेश यात्राएं की और राजतिक का पदार्पण किया और 11 बार जेल गए स्वतंत्रता संग्राम को नई क्रांति प्रदान की ऐसा इसलिए भी संभव हुआ क्योंकी नवमेश , सप्तमेश , कर्मेश , लाभेश , लग्नेश सभी का परस्पर मजबूत संबध बना हुआ है । गुरु शुक्र को शुक्र गुरु को मंगल और शनि गुरु को तथा कर्मेश शनि कर्म भाव और उसमे स्थित पंचमेश सूर्य परकर्मेश और शष्टेश बुध को दृष्टि प्रदान कर रहे हैं ।
बचपन से ही नेताजी धनाढ्य परिवार, शिक्षित और अनुशासित पिता , धार्मिक मां सहयोगी भाई बहन प्राप्त हुए । शिक्षा के क्षेत्र में सदेव अग्रिन होते थे अपने कार्य क्षेत्र में भी नेताजी ने देश में ही नही विदेशों में भी प्रभुत्व स्थापित किया । अतः नेताजी की असमय मृत्यु के लिए कर्म क्षेत्र के दशम भाव में स्थित सूर्य और राहु का ग्रहण दोष उतरदायी है । यधपी दशम भावस्थ राहु ने नेताजी को राजनेतिक में बुलंदिया दी किंतु कर्म क्षेत्र में बने ग्रहण योग ने उनके आजादी के सपने को उनके सामने पूरा नही होने दिया ।

ऑनलाइन ज्योतिष सीखना चाहते हैं? आप सही जगह पर आए है। हमारा ‘ज्योतिष मुफ़्त पाठ्यक्रम आपको वह सब कुछ सिखाएगा जो आपको ज्योतिष, राशियों और ग्रहों की चाल के बारे में जानने की जरूरत है। क्या आप और जानने के लिए तैयार हैं? विश्व विख्यात ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल से यहां जानें ज्योतिष शास्त्र।

एस्ट्रोलाजर – ममता अरोरा

क्या आप जानना चाहते हैं कि आपके सितारे आपके बारे में क्या कहते हैं? एस्ट्रोलाजर – ममता अरोरा के साथ अपनी जन्म कुंडली के बारे में विश्लेषण प्राप्त करें!

यह भी पढ़ें:- मांगलिक योग कैसे बनता है?

Comments (0)

Asttrolok

Asttrolok

Admin

Consultants

Baneshwar Pai

Baneshwar Pai

Astrology Hindi, English Exp: 3+ Year
Manoj Kar

Manoj Kar

Astrology Hindi, English,Odia Exp: 4+ Year
Arti Walia

Arti Walia

Astrology Hindi, English Exp: 5+ Year
Mr.Alok Khandelwal

Mr.Alok Khandelwal

Founder & World Renowned Astrologer
Kunal

Kunal

Astrology Hindi, English Exp: 3+ Year
Rachit Dua

Rachit Dua

Astrology | Palmistry Exp: 5+ Year
Dr. Sagar Patwardhan

Dr. Sagar Patwardhan

Palmistry Expert
Preeti Tandon

Preeti Tandon

Astrology Hindi, English, Marathi Exp: 5+ Year

Share

Share this post with others

GDPR

When you visit any of our websites, it may store or retrieve information on your browser, mostly in the form of cookies. This information might be about you, your preferences or your device and is mostly used to make the site work as you expect it to. The information does not usually directly identify you, but it can give you a more personalized web experience. Because we respect your right to privacy, you can choose not to allow some types of cookies. Click on the different category headings to find out more and manage your preferences. Please note, that blocking some types of cookies may impact your experience of the site and the services we are able to offer.