भारत की धरती देवी शक्ति की उपासना से ओतप्रोत है। यहाँ हर पर्वत, हर नदी और हर नगरी में देवी के किसी न किसी रूप की आराधना होती है। इन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ, जहाँ देवी विश्वेश्वरी और उनके भैरव रूप वत्सनाभ की पूजा होती है। यह स्थान न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि आत्मबल और जीवन की दिशा प्राप्त करने का भी एक दिव्य स्थल माना जाता है।
देवी भागवत और तंत्र चूड़ामणि जैसे ग्रंथों में वर्णित है कि जब सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपमानित होकर देह त्याग दी, तब भगवान शिव ने उनका शरीर उठाकर ब्रह्मांड में तांडव किया। उस समय भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को विभाजित किया। जहाँ-जहाँ उनके अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठ स्थापित हुए।
माना जाता है कि सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ उसी स्थान पर है जहाँ देवी सती का नासिका (नाक) भाग गिरा था। इस कारण यहाँ माँ विश्वेश्वरी की पूजा होती है, और भगवान शिव वत्सनाभ भैरव के रूप में विराजमान हैं।
यह स्थान शैव और शाक्त दोनों परंपराओं का संगम है। यहाँ देवी की शक्ति और भैरव की चेतना एक साथ अनुभूत होती है — जैसे शक्ति और शिव का अद्भुत संतुलन।
देवी विश्वेश्वरी का स्वरूप अद्वितीय है। उनका रंग गहरा नीला बताया गया है, जो आकाश और ब्रह्म का प्रतीक है। चार भुजाओं वाली माँ अपने भक्तों को वरदान और अभय प्रदान करती हैं। उनके हाथों में त्रिशूल, कमल, डमरू और अभयमुद्रा दिखाई देती है।
माँ विश्वेश्वरी की उपासना से जीवन में संतुलन, साहस और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
भक्तों का विश्वास है कि जिनके जीवन में कालसर्प दोष के लक्षण दिखाई देते हैं — जैसे बार-बार असफलता, डर या रिश्तों में अस्थिरता — उन्हें यहाँ पूजा करने से अद्भुत शांति और दिशा मिलती है।
इसके साथ ही, जिन लोगों को यह जानना है कि मेरी राशि क्या है या जिनकी कुंडली इन हिंदी में राहु-केतु का प्रभाव अधिक है, उनके लिए देवी विश्वेश्वरी की आराधना विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ का वातावरण दिव्यता और ऊर्जा से परिपूर्ण है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही शंखध्वनि और धूप की सुगंध मन को शांति प्रदान करती है।
मुख्य अनुष्ठान और परंपराएँ:
प्रतिदिन सुबह और शाम आरती के समय “देवी कवच” और “विश्वेश्वरी स्तोत्र” का पाठ किया जाता है।
नवरात्रि, चैत्र पूर्णिमा और अमावस्या के दिन विशेष पूजा और हवन आयोजित होते हैं।
भक्त देवी को लाल पुष्प, सिंदूर, और मिठाई अर्पित करते हैं।
यहाँ की भूमि वास्तु शास्त्र हिंदी में के अनुसार अत्यंत शुभ मानी जाती है — इसका गर्भगृह दक्षिणाभिमुख है, जो शक्ति और सिद्धि का प्रतीक है।
देवी विश्वेश्वरी की आराधना ज्योतिष के दृष्टिकोण से अत्यंत फलदायी है।
जिनकी कुंडली में राहु, केतु या शनि की स्थिति अशुभ हो, उन्हें इस पीठ में दर्शन से मानसिक संतुलन और ग्रहदोषों से राहत मिलती है।
जो जातक अपने भविष्यफल या प्रेम विवाह योग के बारे में जानना चाहते हैं, वे यहाँ देवी की कृपा प्राप्त कर ज्योतिष परामर्श लेकर अपने जीवन की दिशा समझ सकते हैं।
ज्योतिष के विद्यार्थी यहाँ की ऊर्जा का अनुभव करने के बाद ऑनलाइन ज्योतिष कोर्स के माध्यम से इस विद्या को गहराई से समझ सकते हैं।
और जो अपनी जन्म तिथि के अनुसार संपूर्ण भविष्य और ग्रहयोग जानना चाहते हैं, वे पर्सनलाइज्ड कुंडली सेवा का लाभ अवश्य उठाएँ।
स्थान: सर्वशैल क्षेत्र, रामहेंद्री (संभावित रूप से दक्षिण भारत के पर्वतीय भाग में स्थित)
कैसे पहुँचें:
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन शहर के मुख्य केंद्र से लगभग 25 किमी दूर है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा 80–100 किमी की दूरी पर है।
सड़क मार्ग: बस और टैक्सी सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हैं।
क्या देखें:
देवी विश्वेश्वरी का प्राचीन गर्भगृह, जो ऊर्जा से भरपूर माना जाता है।
भैरव वत्सनाभ का मंदिर — जहाँ शक्ति और भैरव का संतुलन देखा जा सकता है।
पर्वत की चोटी से दिखने वाला दिव्य दृश्य — जिसे “शक्ति दर्शन” कहा जाता है।
ट्रैवल टिप्स:
दर्शन का श्रेष्ठ समय: सुबह 5 से 11 बजे और शाम 4 से 8 बजे तक।
मंदिर के पास स्थित सरोवर में स्नान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
यात्रा से पूर्व अपनी कुंडली देखकर शुभ दिन चुनना श्रेष्ठ माना गया है।
आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवन में देवी विश्वेश्वरी की उपासना से मन में स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
वे यह सिखाती हैं कि शक्ति केवल बाहरी नहीं होती — सच्ची शक्ति भीतर की चेतना और संतुलन में निहित है।
जो व्यक्ति अपने जीवन में निर्णय लेने में असमर्थ महसूस करते हैं या भविष्य को लेकर असमंजस में हैं, वे देवी की पूजा के साथ ज्योतिष का अध्ययन कर अपने जीवन की दिशा स्पष्ट कर सकते हैं।
सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागरण का केंद्र है।
यहाँ देवी विश्वेश्वरी और भैरव वत्सनाभ की उपासना से जीवन में संतुलन, ऊर्जा और सफलता का मार्ग खुलता है।
माँ विश्वेश्वरी का आशीर्वाद हर उस भक्त को दिशा देता है जो अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहता है।
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