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राजस्थान का विराट शक्तिपीठ – देवी सती की उंगलियों का पावन स्थान और अंबिका-अमृतेश्वर की आराधना का केंद्र

Created by Asttrolok in Astrology 18 Sep 2025
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राजस्थान का विराट शक्तिपीठ – देवी सती की उंगलियों का पावन स्थान और अंबिका-अमृतेश्वर की आराधना का केंद्र

प्रस्तावना

भारत भूमि को देवी-देवताओं की अनंत कृपा प्राप्त है। यहाँ हर क्षेत्र, हर नदी, हर पर्वत किसी न किसी पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। इन्हीं दिव्य स्थलों में से एक है राजस्थान का विराट शक्तिपीठ, जहाँ माँ सती की उंगलियाँ गिरी थीं। इस पवित्र स्थान को अंबिका शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यहाँ देवी अंबिका और भगवान शिव के अमृतेश्वर रूप की आराधना होती है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है।


इतिहास और महत्व

शक्ति पीठों का निर्माण माता सती के अंगों के पृथ्वी पर गिरने से हुआ। जब भगवान शंकर शोकाकुल होकर माता सती के शरीर को लेकर भ्रमण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंग अलग किए। उन्हीं में से माता की उंगलियाँ विराट क्षेत्र में गिरीं और यह स्थान विराट शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

इस शक्तिपीठ की मान्यता है कि यहाँ आकर साधक को मनोबल, आत्मविश्वास और कठिनाइयों से बाहर निकलने की शक्ति प्राप्त होती है।


धार्मिक अनुष्ठान और विशेषता
विराट शक्तिपीठ में पूरे वर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है।
नवरात्रि के समय यहाँ विशेष पूजा और दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है।
भक्त देवी अंबिका को लाल चुनरी, नारियल और श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हैं।
भगवान अमृतेश्वर की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
इस शक्तिपीठ की खासियत यह है कि यहाँ आने वाले भक्त अपनी इच्छाओं को सच्चे मन से देवी को समर्पित करते हैं और माना जाता है कि माँ उनकी झोली कभी खाली नहीं लौटातीं।


ज्योतिष से संबंध
भारतीय ज्योतिष में शक्ति पीठों का विशेष महत्व माना गया है। जन्म कुंडली हिंदी में जब भी शनि की साढ़ेसाती, राहु काल आज का या महादशा जैसी समस्याएँ आती हैं, तो देवी की उपासना से राहत मिलती है।
कुंडली इन हिंदी के अनुसार, इस स्थान की यात्रा राहु दोष के निवारण और शनि दोष के लक्षण और उपाय के लिए फलदायी मानी जाती है।
विवाह में देरी या प्रेम विवाह योग की बाधाओं को दूर करने के लिए भी भक्त यहाँ आशीर्वाद लेने आते हैं।
ज्योतिष में प्रयुक्त अयनांश की गणना और शुभ चौघड़िया के समय इस पीठ की यात्रा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
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यात्रा मार्गदर्शिका

कैसे पहुँचें?
रेलमार्ग से: विराट नगर, राजस्थान नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग से: जयपुर से विराट शक्तिपीठ लगभग 65 किमी की दूरी पर है, जहाँ बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग से: जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे नजदीक है।

क्या देखें?
माँ अंबिका का भव्य मंदिर।
भगवान अमृतेश्वर का शिवलिंग।
नवरात्रि और विशेष पर्वों पर मंदिर परिसर की रौनक।

यात्रा टिप्स
सुबह या शाम के समय दर्शन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
भीड़भाड़ से बचने के लिए नवरात्रि के अलावा किसी साधारण दिन की यात्रा करें।
अपनी जन्म कुंडली हिंदी से जुड़े प्रश्नों के साथ यदि यहाँ साधना करें तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।


आधुनिक जीवन से जुड़ाव
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब व्यक्ति तनाव, रिश्तों की उलझन या करियर की अनिश्चितता से जूझता है, तो ऐसे पवित्र स्थलों का महत्व और भी बढ़ जाता है।
यहाँ आकर मन को स्थिरता मिलती है।
देवी अंबिका की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
मेरी राशि क्या है या भविष्यफल जैसे प्रश्नों का समाधान ज्योतिष और आस्था के मेल से यहाँ पाया जा सकता है।
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निष्कर्ष
राजस्थान का विराट शक्तिपीठ न केवल माता सती के अंगों का पावन स्थल है, बल्कि यह भक्तों के लिए विश्वास और शक्ति का केंद्र भी है। यहाँ आकर व्यक्ति अपने जीवन की चुनौतियों से लड़ने का साहस पाता है। देवी अंबिका और भगवान अमृतेश्वर की कृपा से भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन आता है।


यह भी पढ़ें: पुष्कर का मणिबंध शक्तिपीठ – देवी सती की कलाइयों का चमत्कारी स्थल, गायत्री माता से जुड़ा आध्यात्मिक केंद्र


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