भारत की भूमि देवी उपासना और दिव्य ऊर्जा से ओतप्रोत है। हर शक्तिपीठ के पीछे एक अद्भुत कथा और गहन आस्था छिपी है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित नलहाटी शक्तिपीठ उन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है, जहाँ देवी सती का कंठ (गला) गिरा था। यह स्थान न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यहाँ की वायु में संगीत और शब्द की दिव्यता भी बसती है।
देवी सती और भगवान शिव की कथा हम सबने सुनी है — जब राजा दक्ष के यज्ञ में सती ने अपना जीवन त्याग दिया, तब भगवान शिव ने उनका जला हुआ शरीर उठाकर तांडव किया। उस समय भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंगों को 51 भागों में विभाजित कर दिया, जो पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरे। उन्हीं में से एक भाग कंठ (गला) नलहाटी में गिरा।
इस कारण यह स्थान “नलहाटेश्वरी शक्तिपीठ” कहलाया, जहाँ देवी सती नलहाटेश्वरी माता के रूप में विराजमान हैं और भगवान शिव “रामलिंगेश्वर” के रूप में पूजे जाते हैं। कहा जाता है कि इस शक्तिपीठ में दर्शन करने से वाणी की शुद्धि, संगीत में निपुणता और संवाद कौशल में अद्भुत वृद्धि होती है।
नलहाटी शक्तिपीठ का मुख्य मंदिर लाल पत्थर से बना हुआ है और इसकी बनावट प्राचीन बंगाली स्थापत्य कला को दर्शाती है। मंदिर परिसर में माता की मूर्ति प्राकृतिक पत्थर में उकेरी गई है, जो स्वयं में दिव्य ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है।
हर वर्ष नवरात्रि, बसंत पंचमी और काली पूजा के अवसर पर यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं। भक्तजन “कंठ शुद्धि यज्ञ” और “संगीत साधना पूजा” भी करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से यहाँ देवी से प्रार्थना करता है, तो उसकी वाणी में मधुरता और आत्मविश्वास दोनों आ जाते हैं।
नलहाटी केवल आस्था का नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ स्थल माना जाता है। यहाँ आने वाले लोग अक्सर अपनी जन्म कुंडली इन हिंदी लेकर आते हैं ताकि मंगल दोष, राहु काल, या काल सर्प दोष जैसी नकारात्मक स्थितियों से राहत पा सकें।
अगर किसी की कुंडली में ग्रहों का दुष्प्रभाव हो या उसकी वाणी कठोर हो गई हो, तो यहाँ पूजा करने से वह दोष कम होते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी नलहाटेश्वरी स्वयं वाणी की अधिष्ठात्री शक्ति हैं, और उनकी कृपा से व्यक्ति की बुद्धि, वक्तृत्व कला और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
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आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में मन की शांति और वाणी की संयमता खोती जा रही है। नलहाटी शक्तिपीठ का दर्शन केवल धार्मिक अनुभव नहीं बल्कि आंतरिक संतुलन का भी माध्यम है। वास्तु शास्त्र हिंदी में बताया गया है कि जब घर या कार्यालय में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, तो देवी की उपासना से सकारात्मक कंपन लौट आते हैं।
यदि आपकी जन्म कुंडली इन हिंदी में मंगल दोष या काल सर्प दोष है, तो देवी की साधना से ग्रहों की उग्रता शांत होती है और जीवन में संतुलन आता है। इसलिए नलहाटी की यात्रा केवल श्रद्धा नहीं, बल्कि एक ज्योतिषीय और आध्यात्मिक उपचार भी है।
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