भारत की धरती देवी शक्ति के अनगिनत स्वरूपों से पवित्र है। इन्हीं में से एक चमत्कारी स्थल है युगाद्या शक्तिपीठ, जहाँ माँ युगाद्या जल से निकलकर अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देती हैं। पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में स्थित यह मंदिर श्रद्धा, रहस्य और आस्था का अद्भुत संगम है। यहाँ की अद्भुत परंपरा और रहस्यमय जलधारा इसे अन्य सभी शक्तिपीठों से अलग बनाती है।
कथाओं के अनुसार, जब राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान हुआ और देवी सती ने आत्मदाह किया, तब उनके शरीर के विभिन्न अंग पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर गिरे। जहाँ भी वे गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
युगाद्या शक्तिपीठ वही पवित्र स्थान है जहाँ देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इस स्थान पर देवी “युगाद्या” के रूप में पूजी जाती हैं और भगवान शिव “भैरव किंकर” के रूप में विराजमान हैं। ‘युगाद्या’ शब्द का अर्थ है – युगों की आदि या आरंभ करने वाली देवी। कहा जाता है कि माँ युगाद्या सृष्टि के हर परिवर्तन की साक्षी हैं।
इस मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यहाँ देवी का साक्षात दर्शन जल से होता है। मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं, बल्कि एक जलकुंड (पवित्र तालाब) है, जिसके जल से माँ का रूप प्रकट होता है। श्रद्धालु मानते हैं कि जब कोई भक्त सच्चे मन से माँ को पुकारता है, तो जल में एक अदृश्य प्रकाश और तरंगों का रूप लेकर देवी स्वयं प्रकट होती हैं।
हर साल चैत्र महीने में यहाँ चैत्र नवमी का भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसमें हज़ारों भक्त भाग लेते हैं। इस दौरान मंदिर में जलकुंड के चारों ओर दीयों की रोशनी से अद्भुत दृश्य बनता है। यह दृश्य माँ युगाद्या की जीवंत उपस्थिति का अनुभव कराता है।
ज्योतिष की दृष्टि से माँ युगाद्या का शक्तिपीठ त्रिकोण भाव से गहराई से जुड़ा माना जाता है। यह भाव व्यक्ति की भाग्य, ज्ञान और आत्मिक शक्ति से संबंधित है। जो व्यक्ति अपने जीवन में दिशा खो चुका हो या जिसकी महादशा में अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, उसे यहाँ दर्शन करने से राहत मिलती है।
देवी युगाद्या का यह स्थान विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जिनकी कुंडली में अयनांश असंतुलित हो या जो अपने ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करना चाहते हों।
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कई भक्त अपनी कुंडली का गहन अध्ययन पर्सनलाइज्ड कुंडली सेवा से कराते हैं ताकि वे समझ सकें कि उनके जीवन में कौन-सी महादशा चल रही है और उसका संतुलन माँ की कृपा से कैसे पाया जा सकता है।
स्थान: युगाद्या शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बर्दवान (Katwa) में स्थित है।
कैसे पहुँचे:
क्या देखें:
यात्रा टिप्स:
आज के युग में जब मनुष्य बाहरी भौतिकता में खो गया है, माँ युगाद्या हमें भीतर की ऊर्जा और शुद्धता की ओर लौटने का संदेश देती हैं। उनकी जलधारा इस बात का प्रतीक है कि जीवन में चाहे कितनी भी अशांति हो, आस्था और भक्ति से सब कुछ शुद्ध किया जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार, जब व्यक्ति की महादशा में मानसिक अस्थिरता या कार्य में रुकावट आती है, तब माँ युगाद्या का ध्यान और नाम-जप से मन को स्थिरता मिलती है। साथ ही, जो लोग विवाह के लिए सही साथी की खोज में हैं, उनके लिए यहाँ दर्शन के बाद कुंडली मिलान ऑनलाइन से सही दिशा मिलती है।
युगाद्या शक्तिपीठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि दैवीय ऊर्जा का साक्षात केंद्र है। यहाँ माँ का जल से प्रकट होना इस बात का प्रतीक है कि शक्ति किसी मूर्ति में नहीं, बल्कि हर कण में विद्यमान है। जब भक्त सच्चे मन से माँ को पुकारता है, तो जल की हर लहर माँ की आशीष बनकर लौटती है।
यदि आप अपने जीवन में शांति, आत्मबल और ग्रह संतुलन की खोज में हैं, तो एक बार माँ युगाद्या के दर्शन अवश्य करें। उनकी कृपा से आपके जीवन का हर युग, हर काल नई शुरुआत पाएगा।
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