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वैदिक शास्त्र के अनुसार राहू एक अशुभ ग्रह है और इसे ड्रैगन की सिर के नाम से भी जाना जाता है। राहू ग्रह का प्रभाव इतना प्रबल होता है कि जिस जातक की कुंडली में राहू आ जाता है वो स्वयं उसके दुष्प्रभाव को महसूस करने लगता है।
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार राहू ग्रह बुरे कर्म, जुआ, यात्रा, क्रूरता, त्वचा रोग आदि का कारण माना गया है। राहू किस व्यक्ति के लिए कितना नुकसानदायक और अशुभ हो सकता है वो इस बात पर निर्भर करता है कि राहू व्यक्ति की कुंडली में किस घर में, अशुभ स्थिति में बैठा है।
राहू ग्रह को किसी भी राशि का स्वामी नही बताया गया है। ये ग्रह धनु राशि में नीच और मिथुन राशि में उच्च हो जाता है। कुल 24 नक्षत्रो में से राहू का आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रो पर अधिक प्रभाव होता है। राहू एक छवि ग्रह है लेकिन फिर भी ये व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राहू यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अशुभ स्थान पर बैठा है तो व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियाँ और मुसीबते झेलनी पड़ती है। कई बार तो व्यक्ति को राहू के असर के कारण जेल यात्रा भी करनी पड़ जाती है। यदि आप राहु के बुरे प्रभाव को कैसे कम करें(
how to reduce ill effects of rahu) जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े।
जन्म कुंडली में काल सर्प दोष और राहू का असर (bad effects of rahu)
कई बार राहू और केतु के किसी व्यक्ति की कुंडली में आ जाने से व्यक्ति की कुंडली में दोष आ जाता है जिसे काल सर्प दोष कहते है। जब व्यक्ति की कुंडली में 7 ग्रह राहू और केतु के बीच में आ जाते हैं तो ये स्थिति व्यक्ति के लिए बहुत हानिकारक हो जाती है। ऐसी ग्रह दशा में व्यक्ति किसी गंभीर दुर्घटना का शिकार हो सकता है और यदि कुछ वैदिक उपचार किए जाए तो इसे टाला भी जा सकता है।
ऐसा नही कि राहू व्यक्ति को हमेशा ही परेशान करता है लेकिन अगर कुंडली में अशुभ और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तो ये व्यक्ति के जीवन में बार बार कहर बरपाता है।
व्यक्ति की कुंडली में राहू के अशुभ स्थान पर होने पर व्यक्ति को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और यदि राहू शुभ स्थान पर या सकारात्मक स्थान पर बैठा हो तो व्यक्ति को अच्छे परिमाण भी मिल सकते है।
राहू ग्रह का प्रभाव – Rahu effects
जन्म कुंडली में राहू होने पर व्यक्ति को निम्न समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है-
- सेहत से जुडी परेशानी
- आर्थिक समस्या
- करियर में दिक्कते
- सही निर्णय लेने में परेशानी
- याददाश्त कमजोर होना
- एकाग्रता की कमी
- विचारो में अनिश्चितता
- आत्मविश्वास की कमी
- कठोर वाणी
- रिश्तों में कड़वाहट
- आकस्मिक नुकसान
राहु को मजबूत करने करने के लिए क्या करे?
हेसोनाइट या गोमेद रत्न राहू को मजबूत करने वाले रत्न हैं। यदि व्यक्ति किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श करके इन रत्नों को धारण करता है तो उसके जीवन में राहू के प्रभाव को व्यक्ति की कुंडली में राहू की स्थिति के अनुसार बढाता है। इसलिए यदि व्यक्ति की कुंडली में राहू अशुभ स्थान पर है तो गोमेद रत्न पहनने से व्यक्ति में राहू ग्रह का नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाएगा और अगर व्यक्ति की कुंडली में राहू शुभ स्थान पर बैठा है तो गोमेद पहनने से व्यक्ति के उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा।
अष्ट मुखी रुद्रस्ख व्यक्ति के जीवन में राहू के नकारात्मक प्रभाव को शांत कर सकता है। यह तभी संभव है जब रुद्राक्ष को किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिष के परामर्श पर सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त में और सही तरीके से और इसे पहनने के लिए बोला जाने वाले मन्त्र के बाद पहना जाए। बिना मुहूर्त और मन्त्र जाप के रुद्राक्ष धारण करना सही नही माना जाता है। शास्त्रों अनुसार रुद्राक्ष शिवजी का प्रतीक है और इसका सही तरीके से धारण करना बहुत जरूरी है तभी व्यक्ति को इसके सुखमय परिणाम प्राप्त होंगे।
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व्यक्ति के जीवन में राहू के सकारत्मक प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में राहू अच्छे और शुभ स्थान पर विराजित है तो निम्न सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं-
- उसकी इच्छा शक्ति में वृद्धि होगी और व्यक्ति का हौसला भी बढ़ जाएगा।
- राहू के सही स्थान पर होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढेगा और व्यक्ति अंत में मोक्ष को पा लेगा।
- सकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति को नए, रचनात्मक और प्रभावशील विचार आएगे जिससे व्यक्ति अपने व्यवसाय और कार्यक्षेत्र में अपनी क्षमता को प्रभावकारी रूप से बड़ा पाएगा।
- व्यक्ति के बोलचाल और बातचीत भी प्रभावी हो जाती है। बोलचाल प्रभावी होने से वो व्यापार में उन्नति करता है क्योकि अपनी वाक् चातुर्य से वो परिस्थितियों को अपनी ओर करने में कामयाब हो जाते हैं।
- जितने भी प्रतिष्ठित डॉक्टर और कंप्यूटर विशेषज्ञ हैं उनक सभी की कुंडली में राहू शुभ स्थान पर होगा क्योकि राहू चिकित्सा और उच्च स्तरीय
राहू के स्वास्थ्य सबंधी दुष्प्रभाव
कुंडली में राहू के गलत स्थान पर होने से निम्न स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियाँ आ जाती है-
- मानसिक असंतुलन
- आंतों सम्बन्धी विकार
- अल्सर
- गैस्ट्रिक से सम्बंधित परशानी
- डायग्नोस्टिक फेलियर
इसी कारण ये बेहद जरुरी है कि किसी अनुभवी और विद्वान एस्ट्रोलोजर से अपनी कुंडली का सम्पूर्ण विश्लेष्ण करा लिया जाए और उनके परामर्श अनुसार राहू के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उचित समय पर उचित उपाय अपनाए जाए। अगर ऐसा किया गया तो उनका अनुभव और उनके उपाय राहू के नकारात्मकता (
ill effects of rahu) को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यदि आप भी अपनी कुंडली दिखाना चाहते हैं और आपकी कुंडली में राहू के विषय में कुछ जानकारी चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करे।
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