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हिंदू पंचांग के अनुसर प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष के अंत में अमावस्या होती है, तथा हर अमावस्या को अलग अलग नामों से जाना जाता है।
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श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं, क्योंकि इस माह में सूर्य, जो की अग्नि तत्व है, चंद्रमा की राशि कर्क में, जो के जल तत्व है, में गोचर करते हैं, इस कारण हम सूर्य की तपन महसूस करते हैं। साथ ही वर्षा ऋतु होने के कारण मेघ भी जल वर्षा करते हैं । इसी कारण चारों और वृक्ष ही वृक्ष अर्थात हरियाली दिखाई देती है। इसी कारण श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं।
एक और मान्यता यह भी है, कि सूर्य आत्मा का कारक होकर कर्क राशि में होने से हमारे मन में उत्साह की कमी होती है और आलस्य शरीर एवम् मन पर छाने लगता है। अत: इन दिनों घरों में दीपक की रोशनी करने से अधिक ऊर्जा का एहसास होता है। इसीलिए हमको हरियाली अमावस्या के दिन प्रातः एवं संध्या के समय दीपोत्सव अवश्य करना चाहिए।
हरियाली अमावस्या के दिन पेड पौधे लगान से पुण्य की प्राप्ति होती है।
वैसे तो अमावस्या के दिन दान, स्नान, पूजा, व्रत, तर्पण आदि का महत्व है, परंतु श्रावण मास की अमावस्या को वृक्षारोपण का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि अमावस्या हमारे पूर्वजों एवं पितरों का दिन होता है, अत: हमें हरियाली अमावस्या को ऐसे पेड पौधे लगाना चाहिए जिसमें देवी देवताओ का वास होता है । हिंदू मान्यता के अनुसार पीपल, नीम, केला, आंवला, तुलसी, बरगद जैसे पेड़ लगाने चाहिए। जिससे भगवान के साथ साथ हमारे पितृ भी प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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जय श्री कृष्ण 🙏
एस्ट्रोलॉजर-श्वेता गुप्ता