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क्रिकेटर कपिल देव जन्म कुंडली विश्लेषण

Created by Asttrolok in Astrology 30 Aug 2023
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क्रिकेटर कपिल देव जन्म कुंडली विश्लेषण

कपिल देव का जन्म 6/1/1959 2:30 am चंडीगढ़ का है कपिल देव कि कुंडली तुला लग्न और वृश्चिक राशि कि है । कपिल देव कि कुंडली में सप्तमेश और धनेश (धन का स्वामी) मंगल का संबध सप्तम भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि में मालव्यी नामक महापुरुष योग का निर्माण कर रहा है और यहां बैठे मंगल अपनी चौथी दृष्टि 10th भाव कर्म स्थान और लग्न को दृष्टि दे रहा है । जो कि एक खिलाड़ी बनने कि दृष्टि से अत्यंत शुभ योग बना रहा है । लग्नेश शुक्र 4th हाऊस में सुख भाव में स्थित होकर दशम को देख रहा है ।2ad लार्ड धनेश मंगल और 3rd लार्ड परक्रमेश गुरु कि दृष्टि है दशमेश (10thलार्ड ) चंद्रमा पर प्रक्रमेश गुरु के साथ धन भाव में स्थित होकर धनेश मंगल से दृष्ट है भाग्येश , लाभेश और पंचमेश अर्थात बुध, सूर्य और शनि कि युति प्रक्रम भाव में हुई है इस कुंडली में प्रक्रम भाव में तीन ग्रहों कि युति जातक को साहस शौर्य और पराक्रम देती है प्रकर्मेश और दशमेश कि युति धन स्थान में होना तथा धनेश का शुभ स्थिति में होकर धन भाव को देखना कर्म और पराक्रम से धन का संबंध जोड़ता है ।

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6th लार्ड गुरु 2ad भाव में बैठकर अपनी पांचवी दृष्टि 6th हाऊस में दे रहा है जो गुरु अपने ही घर को देख रहा है वही6th हाऊस में केतु बैठा है और गुरु कि दृष्टि केतु पर भी है इसी कारण इन्होंने ने प्रतिस्पर्धा में बडी सफलता प्राप्त की केतु का6th हाऊस में होना संघर्ष कि शक्ति को बढ़ाता है और कुंडली में पंचमेश और नवमेश का संबध योगप्रद है ।3rd भाव में शनि, बुध तथा सूर्य युति तथा पंचमेश का पंचम भाव में दृष्टि जातक की दक्षता कार्य कुशलता बड़ाकर उसे धनवान और यश दिलाता है दशमेश 2ad भाव में होने से जातक का गुणी, धनी , परोपकारी और मान सम्मान पानेवाला होता है इनकी कुंडली में इन विशिष्ठ योगों के कारण यह सफलता कि सीडियां चढ़ पाने में सफल हुए ।


योग


कपिल देव कि कुंडली में मालव्य नामक महापुरुष राजयोग बना रहा है । ऐसा योग बहुत ऊंचाई पर ले जाता है । जो कि खिलाड़ी के लिए बहुत शुभ योग है
लग्नेश केंद्र में बैठा जो कि कपिल देव बहुत स्ट्रॉन्ग थे वही लग्नेश 10th भाव कर्म भाव को दृष्टि दे रहा है वह बहुत कर्मठ थे ।
25 जून 1983को कपिल देव वर्ल्ड कप जिते तब उनको दशा बुध ग्रह कि चल रही थी जो 3rd हाऊस में बैठा था जो पराक्रम भाव है और उस दिन के गोचर भी उनके पत्रिका के हिसाब से बैठ रहे थे ।


क्रिकेटर बनने के योग _


लग्न लग्नेश का शुभ प्रभाव में होना एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए अति आवश्यक है जो कि कपिल देव का लग्नेश स्ट्रांग था ।

तिसरा भाव _ कुंडली का तिसरा भाव भी शारीरिक मेहतत , भागदौड़ , प्रकारम और निडरता का भाव होने से खिलाड़ियों कि कुंडली में तिसरे भाव का बहुत महत्व है जो कपिल देव कि कुंडली में तिसरे भाव में सूर्य , शनि , बुध है जो तिसरा भाव पावर फुल था ।

पंचम भाव _ कुंडली में पंचम भाव विद्या बुद्धि का विचार किया जाता है और यह व्यक्ति के यश, मान, प्रतिष्ठता , खेल का स्थान खेल प्रतिभा एवम् दक्षता को प्रदर्शित करता है अतः पंचम भाव पर शुभ प्रभाव तथा कुंडली में पंचमेश कि शुभ एवम बलवान स्थिति तथा इसका अन्य संबंधित भावो एवम ग्रहों से संबंध व्यक्ति में प्रचुर मात्रा में स्वाभाविक खेल प्रतिभा एवम खेल सबंधित मामलो में दक्षता पैदा करता है ।

छटा भाव _ कुंडली का यह भाव विरोधी पक्ष , प्रतियोगिता , प्रतिद्वियो , संघर्ष आदि को दर्शाता है अतः खेल प्रतिस्पर्धाओं की संघर्ष पूर्ण स्थिति में विरोधी पक्ष पर हावी होकर खेल के मैदान में विजय प्राप्त करने में छटा भाव और उसका मालिक का कुंडली में उपयुक्त स्थिति में होना आवश्क है ।

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नवम, दशम और एकादश का_ कुंडली का नवम भाग्य भाव इस भाव से हर तरह की सफलता के बारे में जाना जाता है । कुंडली का दशम भाव व्यक्ति के कर्म और ख्याति को दर्शाता है । एकादश भाव से हर तरह की उपलब्धियों एवम लाभ का विचार किया जाता है अतः कुंडली में इन भावो और भाव स्वामियों का बलवान होकर खेल के कारक भाव एवम भाव के मालिक तथा ग्रहों से संबंध खेल के माध्यम से सफलता, ख्याति , उपलब्धि एवम लाभ दिलाता है ।

मंगल ग्रह का विचार _ जन्म कुंडली में विशेष रूप से मंगल को खेलो का या स्पोर्ट्स का कारक माना जाता है क्योंकि खेलो में सफलता के लिए व्यक्ति का शारीरिक गठन , मांसपेशियों फिटनेस और कार्य पुरुषार्थ क्षमता बहुत अच्छी होनी चाहिए ।

खेलो मे सफलता के कुछ विशेष योग _ यदि जन्म कुंडली में मंगल स्वराशि या वृश्चिक राशि का हो या अपनी उच्च राशि मकर में होकर केन्द्र 1,4,7,10 या त्रिकोण 5,9 में शुभ भाव में बैठा हो तो व्यक्ति केरियर स्पोर्टस में बनाता है।

मंगल बलि होकर दशम में हो या दशम पर मंगल की दृष्टि हो तो स्पोर्ट्स में सफलता मिलती है । तिसरे भाव के स्वामी का तिसरे भाव में बैठना या तिसरे भाव में देखना भी स्पोर्ट्स में जाने के लिए सहायक है । यदि तिसरे का मालिक दशम भाव में हो मंगल प्रबल हो तो व्यक्ति अच्छा खिलाड़ी बनता है ।

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एस्ट्रोलाजर ममता अरोरा

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