भारत के हर कोने में माँ शक्ति की महिमा बसेरी है। 51 शक्तिपीठों में से एक है रत्नावली शक्तिपीठ, जो पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले में रत्नाकर नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान केवल एक धार्मिक धाम ही नहीं बल्कि आस्था, आध्यात्मिकता और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेषकर दुर्गा पूजा के समय यह मंदिर दिव्य रोशनी और श्रद्धा से जगमगा उठता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके अंगों को अलग-अलग स्थानों पर गिरा दिया। इन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ कहा गया।
रत्नावली शक्तिपीठ उस स्थल पर स्थित है जहाँ माता सती का दायाँ कंधा गिरा था। यहाँ देवी को कुमारी देवी और भैरव को शिव के रूप में पूजा जाता है। यह स्थान सदियों से श्रद्धालुओं के लिए शक्ति और भक्ति का केंद्र रहा है।
रत्नावली शक्तिपीठ का वातावरण अत्यंत शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है।
प्रतिदिन सुबह-शाम आरती और विशेष पूजन का आयोजन होता है।
दुर्गा पूजा और नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर परिसर को दीपों और सजावट से इस तरह सजाया जाता है कि पूरा स्थान रत्नों की तरह जगमगाने लगता है।
यहाँ साधक विशेष रूप से तंत्र साधना और शक्ति उपासना करते हैं।
भारतीय संस्कृति में शक्तिपीठ केवल पूजा का स्थान नहीं बल्कि ज्योतिष और कुंडली दोष निवारण का भी केंद्र रहे हैं।
कुंडली मिलान के समय, वैवाहिक जीवन की बाधाएँ दूर करने के लिए इस शक्तिपीठ का दर्शन लाभकारी माना जाता है।
शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित जातकों के लिए देवी कुमारी की उपासना राहत देती है।
कई साधक यहाँ आकर चौघड़िया के अनुसार अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनके कार्यों में सफलता मिलती है।
मंदिर की बनावट और स्थापना में वास्तु शास्त्र के सिद्धांत स्पष्ट झलकते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष या अन्य दोष पाए जाते हैं, वे यहाँ शांति अनुभव करते हैं।
👉 अगर आप ज्योतिष सीखना चाहते हैं तो ऑनलाइन ज्योतिष कोर्स से शुरुआत कर सकते हैं।
👉 अपने जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए विशेषज्ञ ज्योतिष परामर्श प्राप्त करें।
👉 अपनी विशेष पर्सनलाइज्ड कुंडली सेवा पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
सड़क मार्ग: कोलकाता से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित यह स्थल सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
हवाई मार्ग: सबसे निकट हवाई अड्डा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता।
✔️ आज की व्यस्त जिंदगी में लोग मानसिक शांति और स्थिरता चाहते हैं। रत्नावली शक्तिपीठ ऐसा स्थल है जहाँ आस्था और ऊर्जा का संगम मिलता है।
✔️ यहाँ की यात्रा करने से ज्योतिषीय दृष्टि से जीवन की बाधाएँ कम होती हैं।
✔️ वास्तु शास्त्र और चौघड़िया जैसे सिद्धांत यहाँ आकर और भी स्पष्ट रूप से समझे जा सकते हैं।
✔️ भक्ति और शक्ति का अनुभव आधुनिक जीवन की उलझनों को सरल बनाने में मदद करता है।
यह भी पढ़ें: तामलुक शक्तिपीठ क्यों है खास? जानिए बरगाभीमा मंदिर का वह रहस्य जहाँ देवी सती का टखना गिरा था