भारत की धरती पर जितने भी शक्तिपीठ स्थापित हैं, वे सभी माँ शक्ति की अद्भुत महिमा और आस्था का प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक है किरीटेश्वरी शक्तिपीठ, जो पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोण गाँव में स्थित है। यह वह पवित्र स्थल है जहाँ माँ सती का मुकुट (किरीट) गिरा था। इसलिए इसे शक्तिपीठों की रानी भी कहा जाता है। यहाँ का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और गहरी शांति का अनुभव कराता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब ब्रह्मांड की रक्षा हेतु भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को कई भागों में विभाजित कर दिया। इन भागों के जहाँ-जहाँ अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
कहा जाता है कि इसी प्रक्रिया में माता सती का मुकुट यहाँ गिरा और यह स्थान किरीटेश्वरी शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यहाँ देवी को महिषमर्दिनी के रूप में पूजा जाता है और भैरव के रूप में सम्वर्त विराजमान हैं।
✔️ भारतीय संस्कृति में शक्तिपीठों को केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शक्तिशाली माना गया है।
✔️ जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष या मंगल दोष जैसे दोष होते हैं, वे यहाँ आकर शांति की कामना करते हैं।
✔️ जीवन में शनि की साढ़ेसाती जैसी स्थिति से गुजर रहे भक्त यहाँ दर्शन करके राहत अनुभव करते हैं।
✔️ कुंडली मिलान से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए भी माता किरीटेश्वरी की कृपा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
✔️ यहाँ भक्त अक्सर चौघड़िया देखकर ही अनुष्ठान करते हैं ताकि उनके कार्य शुभ समय पर संपन्न हों।
वास्तु शास्त्र की दृष्टि से मंदिर की संरचना ऊर्जा का अद्भुत प्रवाह कराती है।
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आज के समय में जब जीवन भागदौड़ और तनाव से भरा हुआ है, ऐसे में किरीटेश्वरी शक्तिपीठ आस्था और आत्मशांति का एक अद्वितीय स्थान है।
यहाँ आने से व्यक्ति अपने भीतर की ऊर्जा और सकारात्मकता को महसूस करता है।
यह स्थान हमें याद दिलाता है कि चाहे समस्याएँ कैसी भी हों, भक्ति और विश्वास से उनका समाधान संभव है।
जो लोग आज का राशिफल हिंदी में या अपनी लाल किताब संबंधी मार्गदर्शन की तलाश में रहते हैं, उनके लिए यह धाम श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है।
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