शिव भुजङ्गम् भगवान् शिव की महिमा और शक्ति का दिव्य स्तुति-संग्रह है। यदि आपकी कुंडली में मंगल (Mars) या शनि (Saturn) ग्रह कमजोर हैं और जीवन में शक्ति, स्वास्थ्य या स्थिरता की कमी महसूस हो रही है - तो इस श्लोकीय पाठ का नियमित अभ्यास अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
Shiva Bhujangam is a hymn praising the glory and power of Lord Shiva. If Mars or Saturn is weak in your horoscope and you face lack of strength or health, reciting this bhujangam brings great benefits.
यह स्तोत्र प्राचीन संस्कृत छन्द “भुजङ्ग प्रयात्” में रचित है और इसे भगवान शिव की स्तुति हेतु उपयोग किया जाता है। इस स्तोत्र की रचना का रचयिता स्पष्ट नहीं है लेकिन यह भक्तिपरक शिव-स्तोत्र संकलनों में विख्यात है।
यह मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें संसार का पालनकर्ता, विनाशकर्ता तथा योगीश्वर माना गया है।
स्तोत्र में शिव के विभिन्न रूप-गुणों (जटाधर, गंगाधर, त्रिनेत्रधारी, चक्रधर आदि) का वर्णन किया गया है।
इसलिए यह पाठ शिव-भक्ति के माध्यम से शक्ति, साहस, रक्षा-भाव एवं आत्म-विकास को बढ़ावा देता है।
जब किसी की कुंडली में मंगल या शनि ग्रह कमजोर हों, तब व्यक्ति को शक्ति-कमी, निर्णय-हीनता, बाधाओं, स्वास्थ्य-समस्याओं, स्थिरता-अभाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
शिव भुजङ्गम् स्तोत्र का नियमित पाठ इन ग्रहों की प्रभावित अवस्था को संतुलित करने, आत्म-बल और धैर्य बढ़ाने तथा बाहरी-आंतरिक संघर्षों को कम करने में सहायक माना जाता है।
वास्तु-ज्योतिष में: यदि घर-परिवार या कार्य-स्थल पर ऊर्जा-क्षय, अशांति, रोग-प्रवणता या विघटन हो रही हो - इस पाठ के द्वारा मन-शांत, जीवन-उत्साह एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार संभव माना गया है।
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वे लोग जिनकी कुंडली में मंगल या शनि ग्रह प्रभावित/कमजोर स्थिति में हों, और जिनका जीवन-मार्ग शक्ति-हीनता, स्वास्थ्य-अभाव, बाधाएँ, निर्णय-अस्थिरता से प्रभावित हो रहा हो।
जिन्हें लगता हो कि उनका मन अशांत है, जीवन-स्थितियाँ अस्थिर हैं, डर-भाव अधिक है, उन्हें यह पाठ विशेष रूप से लाभदायी होगा।
भक्त जो भगवान शिव की उपासना करना चाहते हों, या जीवन में स्थिर-शक्ति, साहस एवं रक्षा-भाव विकसित करना चाहते हों - उनके लिए शिव भुजङ्गम् स्तोत्र उपयोगी रहेगा।
साधक, गृह-परिवार, व्यवसायी, विद्यार्थी - यदि किसी श्रेणी में “शक्ति/स्वास्थ्य/धैर्य” की कमी महसूस हो रही हो तो इस पाठ को नियमित रूप से अपनाया जा सकता है।
स्तोत्र की प्रारंभिक पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
“गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् । कनद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥ १॥”
यहाँ भगवान शिव को “वक्रतुण्ड” (वक्र तीण्ड वाले) कहा गया है - जो विकारों, बाधाओं, भय का नाश करते हैं।
अगली पंक्तियाँ जैसे:
“अनाद्यन्तमाद्यं परं तत्त्वमर्थं चिदाकारमेकं तुरीयं त्वमेयम् …”
इस तरह श्रेष्ठतम तत्त्व, चेतना स्वरूप भगवान शिव के रूप में वर्णित हैं - जिसका अनुभव भक्त-पाठ द्वारा अमूल्य माना गया है।
इस स्तोत्र का भाव-सार यह है कि भगवान शिव भक्तों की रक्षा करते हैं, उनके कष्टों का नाश करते हैं, उन्हें साहस, शक्ति एवं स्थिरता प्रदान करते हैं।
इसलिए जब जीवन में शक्ति-अभाव या ग्रह-दोष (मंगल/शनि) की समस्या हो, तब इस स्तोत्र का पाठ अत्यन्त उपयोगी उपाय हो सकता है।
यदि आप अपने जीवन में शक्ति, स्वास्थ्य, धैर्य, सकारात्मक ऊर्जा एवं आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं - और विशेष रूप से यदि आपके ज्योतिष में मंगल या शनि ग्रह प्रभावित हों - तो “शिव भुजङ्गम्” का नियमित पाठ एक सार्थक उपाय बन सकता है।
भक्ति-भाव के साथ इसे पढ़ें, अर्थ को समझें, मन को भगवान शिव की ओर लगाएँ - और इसके परिणामस्वरूप अपने जीवन-मार्ग में सकारात्मक बदलाव की आशा रखें।
If you are seeking strength, health, resilience, and spiritual growth, especially when the planets Mars or Saturn in your horoscope are weak, then regular recitation of the “Shiva Bhujangam” can be a powerful remedy. Read it devotionally, understand its meaning, focus your mind on Lord Shiva - and expect a positive transformation in your life path.
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