प्रातः स्मरण स्तोत्रम् सुबह के समय भगवान् का स्मरण कराने वाला एक दिव्य स्तोत्र है।
यदि आपकी कुंडली में चंद्र (Moon) या गुरु (Jupiter) ग्रह कमजोर हैं और जीवन में मानसिक तनाव या आलस्य की समस्या बनी हुई है - तो इस स्तोत्र का नियमित पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है।
Pratah Smaran Stotram is a divine hymn for morning remembrance of God. If the Moon or Jupiter is weak in your horoscope and you face mental stress or laziness, reciting this stotram daily brings auspicious results.
यह स्तोत्र महान आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह तीन छंदों वाला सरल एवं गूढ़ प्रयोग है, जिसमें सुबह-कालीन समय में मन, वाणी, और शरीर को सर्वोच्च चेतना-स्वरूप को समर्पित करने का भाव प्रस्तुत है।
प्रातः स्मरण स्तोत्र विशेष रूप से किसी एक देवता-नाम को नहीं विषय बनाता, बल्कि स्व-स्वरूप (आत्मा-ब्रह्म) तथा अध्यात्म-जागृति को स्मरण करने का माध्यम है।
जब आपकी कुंडली में चंद्र या गुरु ग्रह कमजोरी दिखा रहे हों - जैसे कि मन की अशांति, आलस्य, दिशा-हीनता, अध्ययन-असफलता आदि - तो इस स्तोत्र का पाठ मानसिक स्थिरता, जाग्रति, सकारात्मक शुरुआत लाने में सहायक माना गया है।
सुबहकाल का समय (प्रातः) नए आरंभ का प्रतीक है। इस समय यदि हम मन, वाणी, कर्म को दिव्य चेतना-स्वरूप को समर्पित कर लें, तो जीवन-मार्ग में संतुलन और स्पष्टता आ सकती है।
ग्रह-दोष या मानसिक विकृति के समय इस प्रकार की नियमित भक्ति-अनुष्ठान से आत्म-विश्वास बढ़ता है, भय-भाव और अनिश्चितता कम होती है।
Also Read: Nirvana Dashakam | निर्वाण दशकम् संग्रह Free PDF
जिनकी कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर हो - जैसे कि मानसिक अशांति, नींद-भंग, भाव-प्रकृति अस्थिर हो।
जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो - अध्ययन, धै-ज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति, लक्ष्य-निर्धारण में कमी हो रही हो।
जिनका जीवन-मार्ग आलस्य-प्रवण बना हो, दिन-शुरू करना मुश्किल हो रहा हो, या जो सुबह-उठने-के बाद मन को स्थिर नहीं कर पाते हों।
सामान्य रूप से - जो व्यक्ति सुबह-का आरंभ सकारात्मक करना चाहता हो, मन-वाणी-कर्म को भगवान्/आत्मा-स्वरूप को समर्पित करना चाहता हो, उसके लिए यह पाठ लाभ-प्रद रहेगा।
Also Read: Nirvana Dashakam | निर्वाण दशकम् संग्रह Free PDF
प्रथम छंद:
“प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वं सच्चित्सुखं परमहंसगतिं तुरीयम्…”
यहां संदेश है- “मैं सुबह अपने हृदय में उस आत्म-तत्त्व-चेतना को स्मरण करता हूँ, जो सत्-चित्-सुख है, परम-हंस-गत है, तुरियअवस्था है।”
दूसरे छंद में कहा गया:
“प्रातर्भजामि मनसा वचसामगम्यं वाचो विभान्ति निखिला…”
अर्थ- “मेरे मन और वाणी से उस परम-स्वरूप को भजता हूँ, जिससे संपूर्ण भाषाएँ प्रकाशित हुईं।”
तीसरे छंद में:
“प्रातः नमामि तमसः … पूर्णं सनातनपदं पुरुषोत्तमाख्यम्…”
अर्थात्- “मैं उस निराकार, पूर्ण, सनातन पद को प्रणाम करता हूँ जिसमें यह जगत्-सम्पूर्ण रूप से प्रतिफलित है।”
फलसूत्र में लिखा है कि ईश स्तोत्र का पाठ करना -- “श्लोक्त्रयमिदं पुण्यं लोकत्रयविभूषणम् । प्रातःकाले पठेद्यस्तु स गच्छेत् परमं पदम्” -- अर्थात् “यह तीन-श्लोक शुभ हैं, जो तीनों लोकों को विभूषित करते हैं; जो व्यक्ति प्रातःकाल इन्हें पाठ करता है, वह परम-पद को प्राप्त होता है।”
यदि आप अपने जीवन में मानसिक शांति, सकारात्मक शुरुआत, आत्म-जागृति, आलस्य-विमुक्ति चाह रहे हैं - और विशेष रूप से यदि आपके ज्योतिष में चंद्र या गुरु ग्रह प्रभावित हों - तो “प्रातः स्मरण स्तोत्रम्” का नियमित पाठ एक सरल एवं गंभीर उपाय बन सकता है।
भक्ति-भाव एवं निष्काम समर्पण के साथ इसे पढ़ें, अर्थ को समझें, मन-वाणी-कर्म को सहज रूप से श्रेष्ठता-भक्ति की ओर मोड़ें - और उसके बाद फलस्वरूप अपने दिन-चक्र में सकारात्मक बदलाव की आशा रखें।
If you wish to bring mental peace, a positive start, self-awareness, and freedom from laziness into your life and especially if, according to astrology, your Moon or Jupiter are affected, the regular recitation of the Pratah Smaran Stotram can serve as a simple yet profound remedy.
Read it with sincere devotion and selfless dedication. Understand its meaning, align your mind, speech, and actions toward faith and goodness and then, naturally, you can expect to see positive changes unfold throughout your daily life.
याद रखें - ज्योतिष सीखने और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए आप हमारी वेबसाइट asttrolok.com पर विजिट कर सकते हैं। Download Free PDF