गुरु पादुका स्तोत्रम् गुरु की शक्ति और आशीर्वाद का स्मरण कराता है। यदि आपकी कुंडली में गुरु (Jupiter) ग्रह कमजोर हैं और शिक्षा, करियर या मार्गदर्शन में बाधाएँ हैं - तो गुरु पादुका स्तोत्र का पाठ अत्यंत शुभ फल देता है।
Guru Paduka Stotram recalls the blessings and power of the Guru.If Jupiter is weak in your horoscope and you face obstacles in education, career, or guidance, reciting this stotram brings auspicious results. Download Free PDF
यह स्तोत्र प्रायः आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। हालाँकि कुछ स्रोतों में यह भी उल्लेख है कि इसे श्री सच्चिदानंद शिवाभिनव नृसिंह भारती (जिसे शृंगेरी पीठ से संबंधित माना गया है) ने रचना कि हो। इसलिए इसे एक प्रतिष्ठित गुरु-स्तुति ग्रंथ माना जाता है।
गुरु पादुका स्तोत्र मुख्य रूप से गुरु के पादुका (गुरु के चरणवस्त्र / पादुकाएँ) को समर्पित है - जो प्रतीकात्मक रूप में गुरु की आशीर्वाद-शक्तियों का द्वार हैं।
गुरु पादुका इस दृष्टि से हैं कि वे उस मार्ग, उस ज्ञान, उस ज्ञानप्रदाता गुरु के चरणों का प्रतीक हैं जो हमारे जीवन-सागर को पार कराते हैं।
इसलिए यह स्तोत्र गुरुभक्ति, गुरु-मार्गदर्शन, ज्ञान-प्राप्ति तथा आंतरिक शांति का महत्व दर्शाता है।
यदि व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह (Jupiter) कमजोर हो, या शिक्षा-मार्ग में बाधाएँ हों, या जीवन में मार्गदर्शन-की कमी हो - तो गुरु पादुका स्तोत्र का पाठ गुरु-प्राप्ति, बुद्धि-वृद्धि, आशीर्वाद-प्राप्ति का एक उपाय माना जा सकता है।
वास्तु-ज्योतिष के दृष्टिकोण से- जब जीवन-मार्ग में दिशा-हीनता हो, अध्यात्म या विद्या-क्षेत्र में अवरोध हो, प्रतियोगिता-पराभव हो रहा हो- तब यह “गुरु-शरणा” एवं “गुरु-कृपा” की अनुभूति को सुदृढ़ बनाने में सहायक है।
पाठ के समय श्रद्धा, एकाग्रता व भक्ति-भाव को बनाए रखना अधिक प्रभावशाली माना गया है।
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वे लोग जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो, और उन्हें शिक्षा-सफलता, करियर-मार्गदर्शन, गुरु-शिष्य-संबंध आदि में समस्याएँ हो रही हों।
विद्यार्थी, शिक्षक, शोधकर्ता, करियर-शुरुआत कर रहे लोग - जिन्हें मार्गदर्शन-की आवश्यकता हो और गुरु-कृपा-प्राप्ति की चाह हो - उनके लिए गुरु पादुका स्तोत्र लाभदायी है।
साधक-मार्ग पर चलने वाले जो गुरु-भक्ति, आत्म-ज्ञान, अध्यात्म-उन्नति की ओर अग्रसर हों - उनके लिए भी गुरु पादुका स्तोत्र उपयुक्त है।
सामान्य रूप से- जब व्यक्ति जीवन-मार्ग में दिशा-हीनता, निर्णय-कठिनाई, भ्रम, मानसिक अस्थिरता महसूस कर रहा हो - तब गुरु पादुका स्तोत्र पाठ द्वारा आंतरिक दृढ़ता एवं गुरु-आश्रय की अनुभूति हो सकती है।
स्तोत्र की शुरुआत में कहा गया है:
“अनन्तसंसारसागरतर नौकायद्भ्यां गुरुभक्तिदाभ्यां … नमो नमः श्री गुरुपादुकाभ्याम्”
अर्थात्: “हे मेरे गुरु-पादुकाओं! आप उस नाव की तरह हैं, जिसने अनन्त संसार के सागर को पार कराना है, और गुरु-भक्ति द्वारा …”
आगे के स्तोत्र बताते हैं कि गुरु-पादुका ज्ञान-समुद्र हैं, दुर्भाग्य-दायकों को दूर करने वाले हैं, मूकों को वाक्-प्राप्ति देने वाले हैं।
समापन में कहा गया है कि जो व्यक्ति इन पादुकाओं की भक्ति-भाव से पूजा करता है, उस पर गुरु-कृपा सिद्ध होती है, जिससे विद्या-प्राप्ति, आत्म-शुद्धि, मोक्ष-प्राप्ति संभव होती है।
मूल भाव यह है कि गुरु-पदुका तथा गुरु-चरण हमें न सिर्फ बाहरी उपासनावस्तु के रूप में प्रेरणा देते हैं, बल्कि हमें विनम्रता, समर्पण, बुद्धि-उन्नति, तथा जीवन-मार्गदर्शकत्व का स्मरण कराते हैं।
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यदि आप अपने जीवन-मार्ग में शिक्षा-सफलता, करियर-मार्गदर्शन, मानसिक स्पष्टता और गुरु-कृपा-प्राप्ति चाहते हैं - और यदि आपके ज्योतिष (horoscope astrology) में गुरु ग्रह प्रभावित या कमजोर हों - तो “गुरु पादुका स्तोत्रम्” का नियमित पाठ एक सार्थक उपाय बन सकता है।
भक्ति-भाव से इसे पढ़ें, अर्थ को समझें, मन को गुरु-चरणों की ओर लगाएँ - और उसके बाद फलस्वरूप अपने जीवन-मार्ग में सकारात्मक बदलाव की आशा रखें।
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