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Ganesh Bhujangam | गणेश भुजंगम् श्लोक संग्रह

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गणेश भुजंगम् स्तोत्र विघ्नहर्ता गणेश की स्तुति करता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र (Venus) या बुध (Mercury) ग्रह कमजोर हैं और जीवन में बाधाएँ, धन-संकट या नई शुरुआत में कठिनाई हो रही है - तो गणेश भुजंगम् स्तोत्र का पाठ अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

Ganesh Bhujangam Shlok praises Lord Ganesha, the remover of obstacles. If Venus or Mercury is weak in your horoscope and you face obstacles, financial difficulties, or challenges in new ventures, reciting this shloka brings great benefits. Download Free PDF


1. गणेश भुजंगम् स्तोत्र किसके द्वारा लिखा गया है?

  • यह स्तोत्र महान आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। गणेश भुजंगम् में नौ (९) स्तोत्र हैं, जिनमें भगवान गणेश की महिमा एवं विभिन्न रूपों का वर्णन है। 

2. गणेश भुजंगम् स्तोत्र किन-किन भगवानों / देवताओं को समर्पित है?

  • यह स्तोत्र मुख्य रूप से भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश को विघ्ननाशक, आरम्भकर्ता, बुद्धि-प्रदाता की भूमिका में देखा जाता है, और इस स्तोत्र में उनके विभिन्न रूप-लक्षणों का स्मरण है।

3. गणेश भुजंगम् स्तोत्र वास्तु और ज्योतिष (Astrology) में क्या मदद करता है?

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र या बुध ग्रह कमजोर हों, तो धन-संबंध, बुद्धि-संबंधी कार्य, नए आरम्भ या संपर्क-व्यवहार में बाधाएं आ सकती हैं। तब गणेश भुजंगम् स्तोत्र का नियमित पाठ इन बाधाओं को दूर करने में मददगार माना जाता है।

  • स्तोत्र में बताया गया है कि पाठ करने से वाणी-सिद्धि, ऋण-मोचन, विघ्ननाश, तथा सर्वकामान्सिद्धि जैसी लाभ-भावनाएँ हैं।

  • वास्तु-ज्योतिष दृष्टि से- जब नव-प्रयास, व्यवसाय-आरम्भ, शिक्षा-कार्य या कलात्मक गतिविधियाँ हो रही हों और बुध/शुक्र प्रभावित हों - तब गणेश भुजंगम् स्तोत्र का पाठ मानसिक संतुलन, सकारात्मक ऊर्जा और शुभ-प्रवर्तन के लिए उपयोगी माना जाता है।

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4. गणेश भुजंगम् स्तोत्र किसको पढ़ना चाहिए - जिससे उन्हे मदद मिले?

  • वे व्यक्ति जिनकी कुंडली में बुध-ग्रह या शुक्र-ग्रह कमजोर स्थिति में हों, और जिन्हें बुद्धि-स्पष्टता, वाणी-प्रभाव, धन-संकट, नए आरम्भ में गति-नहीं मिल रही हो

  • नए व्यवसाय-शुरुआत करने वाले, कला-संबंधी कार्य में लगे लोग, वाणी-कला (उदाहरण: वक्ता, शिक्षक, लेखक) में सक्रिय लोग -  उन्हें यह स्तोत्र लाभ-देय हो सकता है।

  • जीवन-मार्ग में बार-बार बाधाएँ, ऋण-दोष, विघ्न-प्रवणता महसूस कर रहे लोग - इस पाठ द्वारा उन्हें गणेशजी की कृपा-शक्ति का अनुभव हो सकता है।

  • साधक-मार्ग पर चल रहे, भगवान गणेश की भक्ति करना चाहते हों, विघ्न-निवारण, आरम्भ-सिद्धि पर प्रयत्न कर रहे हों - उनके लिए यह स्तोत्र उपयुक्त है।

5.  व्याख्या

  • स्तोत्र की शुरुआत- “रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं च­लत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम्” -  यहाँ गणेश की सुमधुर घण्टियों की ध्वनि, ताण्डव-रहित पद्म-ताल, उनका सबल रूप-वर्णन हुआ है।

  • आगे कहा गया- “यमेकाक्षरं निर्मलं निर्विकल्पं गुणातीतमानन्दमाकारशून्यम्…” -  अर्थात् गणेश उस एकाक्षर (ॐ) स्वरूप हैं, जो निर्मल, निर्विकल्प, गुण-पर, आनंद-स्वरूप हैं।

  • अंत में- “इमं सुस्तवं प्रातरुत्थाय… पठेद्यस्तु मर्त्यो लभेत्सर्वकामान्” -  यानी जो प्रत्येक सुबह इस स्तोत्र को श्रद्धापूर्वक उठकर पाठ करेगा, उसे सभी मानवीय कामनाएँ मिल जाएँगी।

  • इस प्रकार यह स्तोत्र सिर्फ भक्ति-पाठ नहीं है बल्कि गणेश-भक्ति के माध्यम से वाणी-सिद्धि, बुद्धि-उन्नति, विघ्न-नाश, धन-कल्याण जैसी विभूतियों को अर्जित करने का एक उपाय माना जाता है।

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निष्कर्ष:

यदि आप अपने जीवन में नई शुरुआत, धन-वृद्धि, बुद्धि-प्रकाश, वाणी-प्रभाव तथा बाधा-मुक्ति चाहते हैं -  और यदि आपके ज्योतिष horoscope astrology में शुक्र या बुध ग्रह प्रभावित हों -  तो “गणेश भुजंगम्” का नियमित पाठ एक सार्थक उपाय बन सकता है।
भक्ति-भाव से इसे पढ़ें, अर्थ को समझें, मन को भगवान गणेश की ओर केंद्रित करें - और उसके बाद फलस्वरूप अपने जीवन-मार्ग में सकारात्मक बदलाव की आशा रखें।

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