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Brahma Jnana Vallimala | ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला श्लोक संग्रह

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ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र आत्म-ज्ञान और जीवन के उच्चतर सत्य की प्राप्ति का मार्ग दर्शाता है। यदि आपकी कुंडली में गुरु (Jupiter) कमजोर हैं और मानसिक शांति या ज्ञान की कमी है, तो ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र का नियमित पाठ लाभकारी माना जाता है।

Brahma Jnana Vallimala Shlok guides the seeker towards self-knowledge and higher truths of life. If Jupiter is weak in your horoscope and you face lack of mental peace or knowledge, reciting this shloka regularly brings benefits.


1. ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र किसके द्वारा लिखा गया है?

यह स्तोत्र महान संत-आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। इस ग्रन्थ में उन्होंने ‘ब्रह्मविद्या’ अर्थात् परम ब्रह्म का अनुभव तथा आत्म-स्वरूप के ज्ञान का सार सरल एवं संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है।

2. ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र किन-किन भगवानों को समर्पित है?

  • यह स्तोत्र किसी विशेष देवता-नाम का पूजात्मक स्तुति-गीत नहीं है, बल्कि आत्म-स्वरूप (आत्मा / ब्रह्म) तथा जगत्‌-मायाजाल की विवेचना से सम्बंधित है। अर्थात् इसे पढ़ने वाले को जगत्‌ के रूप में व्याप्त माया से ऊपर उठकर अपने अंदर के सर्वोच्च आत्म-स्वरूप (ब्रह्म) को समझने का संदेश मिलता है।

  • इसलिए इसमें भगवान के नाम-रूप में समर्पण के बजाय ज्ञान-मार्ग व भक्ति-योग का सामंजस्य प्रमुख है।

3. ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र वास्तु और ज्योतिष (Horoscope astrology), में क्या मदद करता है?

  • यदि किसी की कुंडली में गुरु (बृहस्पति) कमजोर हो, या ज्ञान-चिन्तन, शिक्षा, मानसिक शांति, आध्यात्मिक जागृति में अवरोध हो, तो ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र का नियमित पाठ ज्ञान के क्षय को कम करने, मानसिक स्पष्टता बढ़ाने, आत्मिक शांति स्थापित करने में सहायक माना जा सकता है।

  • वास्तु-ज्योतिष के दृष्टिकोण से -  जब व्यक्ति को जीवन-मार्ग में दिशा-हीनता, अध्ययन-असफलता, भौतिकता-के पीछे भागने की प्रवृत्ति आदि हो -  यह स्तोत्र “मायाजाल से ऊपर उठने”, “मन की अस्थिरता को शांत करने”, “भूत-भविष्य-का बंधन तोड़ने” का उपाय बन सकता है।

  • पाठ के दौरान भाव-भक्ति व चिंतन का सम्मिलित होना सुखद माना गया है क्योंकि यह सिर्फ वाणी-पाठ नहीं बल्कि आत्म-चिन्तन का माध्यम बन जाता है।

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4. ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र किसको पढ़ना चाहिए - जिससे उन्हे मदद मिले?

  • वे लोग जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह (बृहस्पति) कमजोर स्थिति में हो, और उन्हें ज्ञान-अध्ययन, शिक्षा, मार्गदर्शन, आध्यात्मिक उन्नति में कमी महसूस हो रही हो।

  • जिनका मन अध्ययन-कार्य, चिंतन-धारा, आत्म-साक्षात्कार से वंचित हो - उदाहरण-स्वरूप विद्यार्थी, शोधकर्ता, अध्यापक या गुरु-शिष्य-परिस्थितियों में संलग्न लोग।

  • जिनके जीवन में भौतिकता-मोह, चिंता-उत्सुकता, भविष्य-भय, मानसिक अशांति अधिक हो, ऐसे लोगों के लिए ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला स्तोत्र आत्म-शक्ति, चेतना-उन्नति, संतुलन का माध्यम बन सकता है।

  • साधक-मार्ग पर चल रहे, ध्यान-योग, आत्म-चिंतन की ओर अग्रसर लोग अच्छे परिणाम चाहते हों  उनके लिए यह स्तोत्र मार्ग-दर्शक हो सकता है।

5. व्याख्या

  • “सक्रुच्छ्रवणमात्रेण ब्रह्मज्ञानमयतो भवेत्” -  इस प्रथम स्तोत्र में कहा गया है कि सुनने मात्र से भी ब्रह्म-ज्ञान की प्राप्ति संभव है, यदि वह श्रवण सत्कार्य (शुद्ध सुनना) हो।

  • स्तोत्र में बार-बार यह पुनरुक्ति है -  “असंगोऽहं असंगोऽहं…” अर्थात्: “मैं आसक्ति-रहित हूँ, मैं आसक्ति-रहित हूँ…” -  यह आसक्ति-मुक्ति के महत्व को बताता है।

  • आगे के छंदों में आत्म-स्वरूप को “नित्यशुद्धविमुक्तोऽहं” (मैं नित्य-शुद्ध, विमुक्त हूँ), “निर्आकारोऽहं” (मैं निराकार हूँ), “भूतानंदस्वरूपोऽहं” (मैं जीव-आनंद स्वरूप हूँ) आदि नामों से संबोधित किया गया है।

  • इस तरह यह ग्रन्थ-स्तोत्र हमें यह स्मरण कराता है कि हमारा मूल स्वरूप ‘आत्मा / ब्रह्म’ है, जो बदलती दुनिया, सृष्टि, कर्म-बंधन से परे है। इसके चिंतन से मन को स्थिरता, सांत्वना, अंतर्ध्यान मिलता है।

  • इस स्तोत्र का मूल उद्देश्य है -  “मैं कौन हूँ?”, “मेरी पहचान क्या है?”, “मायाजाल से मैं कैसे ऊपर उठूं?” -  जैसे प्रश्नों को जाग्रत कराना और आत्म-ज्ञान की दिशा दिखाना।

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निष्कर्ष:

यदि आप अपने जीवन में ज्ञान-वृद्धि, मानसिक स्पष्टता, आत्म-चिन्तन, आध्यात्मिक जागृति चाहते हैं -  और आपके राशिफल मैं गुरु ग्रह प्रभावित हों -  तो “ब्रह्मज्ञानवल्लीमाला” का नियमित पाठ एक सार्थक उपाय बन सकता है।
इस पाठ को भक्ति-भाव से करें, अर्थ को समझें, आत्म-चिंतन के रूप में अपनाएँ - और उसके बाद परिणामस्वरूप अपने जीवन-मार्ग में सकारात्मक बदलाव की आशा रखें।

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